फर्जी जज बनकर 30 लाख का लोन लेने पहुंची महिला — बैंक को हुआ शक, पुलिस ने मौके पर दबोचा


फर्जी दस्तावेजों से बनाई ‘जज की पहचान’

गाड़ी पर लिखा था ‘जज’ - यहीं से खुला राज
शुक्रवार को जब बैंक ने महिला को अंतिम सत्यापन हेतु बुलाया, तो वह मुजफ्फरनगर पंजीकृत बोलेनो कार से बैंक पहुंची। ध्यान देने वाली बात यह थी कि गाड़ी पर “जज” का स्टीकर लगा हुआ था। बैंक अधिकारी इस बात पर थोड़ा असहज हुए और तुरंत दस्तावेजों की पुनः जांच शुरू की। जांच के दौरान कागजात संदिग्ध पाए गए। जब दस्तावेज सत्यापन के लिए भेजे गए तो फर्जीवाड़े की पूरी कहानी सामने आ गई।
पुलिस ने गिरफ्तार किया फर्जी जज और साथी वकील को
कागजातों में गड़बड़ी सामने आने के बाद बैंक प्रबंधक अतुल द्विवेदी ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। शहर कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और महिला आयशा परवीन, अधिवक्ता अनस तथा कार चालक को हिरासत में लिया। पूछताछ में पता चला कि आयशा परवीन जज नहीं है और वह रामपुर की जज कॉलोनी में एक खाली मकान में रहती है। वहां से उसने फर्जी आइकार्ड और दस्तावेज तैयार करवाए थे।
धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज, हुआ बड़ा खुलासा
कोतवाली प्रभारी धर्मेंद्र सोलंकी ने बताया कि जांच के बाद आयशा परवीन और वकील अनस के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। ड्राइवर को निर्दोष पाते हुए छोड़ दिया गया है। पुलिस दोनों मुख्य आरोपियों को अदालत में पेश करने की तैयारी कर रही है। मामला सामने आने के बाद बैंक कर्मचारियों और कानूनी जगत में हैरानी फैल गई है।
फर्जीवाड़ों पर सवाल और सतर्कता की सीख
यह घटना न केवल एक आर्थिक अपराध का उदाहरण है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि सरकारी अधिकारियों के नाम और पदों का दुरुपयोग किस तरह से अपराधी कर सकते हैं। बैंक प्रबंधन ने अन्य शाखाओं को भी सतर्क किया है कि उच्च पदस्थ अधिकारियों से संबंधित लोन मामलों की दस्तावेजी जांच खुद बैंक स्तर पर अनिवार्य रूप से की जाए।