यूपी की सियासत में 'ब्राह्मण कुटुंब' के शक्ति प्रदर्शन से मचा हंगामा, ब्रजेश पाठक की 'पावर' पर भी हुई चर्चा
आयोजक पी.एन. पाठक ने दी सफाई- यह सहभोज और फलहार दोनों था, राजभर बोले-मीटिंग नहीं, पीएम-सीएम से सीधी बात करे !
लखनऊ/मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश की सियासत में 'ठाकुर कुटुंब' की बैठक के बाद अब 'ब्राह्मण कुटुंब' के सक्रिय होने से राजधानी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी हलचल तेज हो गई है। कुशीनगर से भाजपा विधायक पी.एन. पाठक (पंचानंद पाठक) के लखनऊ आवास पर मंगलवार शाम को हुई ब्राह्मण विधायकों की बड़ी जुटान ने योगी सरकार और भाजपा संगठन के सामने नई चुनौती पेश कर दी है। हालांकि, इस बैठक को पत्नी के जन्मदिन के बहाने 'लिट्टी-चोखा सहभोज' का नाम दिया गया, लेकिन इसके भीतर सुलग रही राजनीतिक नाराजगी अब खुलकर सामने आ गई है।
नाराजगी की वजह: 'डिप्टी सीएम तो बनाया, पर ताकत नहीं दी'
सूत्र बताते हैं कि बंद कमरे में हुई चर्चा के दौरान विधायकों ने समाज की उपेक्षा पर गहरी चिंता जताई। बैठक में यह बात उठी कि अलग-अलग जातिगत खांचों में कई जातियां तो ताकतवर हो गईं, लेकिन ब्राह्मण समाज पिछड़ता जा रहा है। विधायकों का मानना है कि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक समाज का बड़ा चेहरा तो हैं, लेकिन सरकार में उन्हें अपेक्षित शक्ति (पॉवर) नहीं दी गई है। साथ ही, संगठन और सरकार में ब्राह्मणों का कद घटने और आरएसएस व भाजपा में समाज की बात सुनने वाला कोई बड़ा पदाधिकारी न होने पर भी रोष जताया गया।
विपक्ष की नजर और सरकार की प्रतिक्रिया इस बैठक की भनक लगते ही मुख्यमंत्री कार्यालय सक्रिय हो गया। बताया जाता है कि सीएम के ओएसडी ने विधायक पी.एन. पाठक को फोन कर जानकारी ली, जिस पर पाठक ने इसे केवल 'पारिवारिक सहभोज' बताया। वहीं, सपा नेता शिवपाल यादव ने इस नाराजगी को भुनाने में देर नहीं की। उन्होंने कहा कि "भाजपा ब्राह्मणों को बांट रही है, जो विधायक नाराज हैं वे सपा में आएं, उन्हें पूरा सम्मान मिलेगा।"
दूसरी ओर, कैबिनेट मंत्री ओ.पी. राजभर ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि "—“पहले यह देश कृषि प्रधान देश था, अब जाति प्रधान बन गया है। अगर विधायकों को समाज में कोई समस्या लगती है, तो उन्हें मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री से मिलकर सीधे इस पर बात करनी चाहिए, न कि इस तरह की जातिगत बैठकों में।
आयोजक पी.एन. पाठक ने सफाई देते हुए कहा कि यह सहभोज और फलहार दोनों था। परसों विधानसभा में चर्चा चल रही थी कि जाड़े में लिट्टी-चोखा कहां खाया जाए। उसी संदर्भ में मेरे आवास पर तय हुआ। जो विधायक मिले, उन्हें आमंत्रित कर लिया गया। संयोगवश ज्यादातर ब्राह्मण-भूमिहार थे। अगली बार सभी जातियों के विधायक रहेंगे। बात विधानसभा और पारिवारिक विषयों तक ही सीमित रही।
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