प्रयागराज। भारत की सांस्कृतिक आत्मा मानी जाने वाली गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती एक बार फिर सक्रिय हो गई हैं। सोमवार को प्रयागराज पहुंचीं उमा भारती ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि गंगा को जनभागीदारी और तपस्वियों के प्रयास से ही अविरल बनाया जा सकता है।
उमा भारती ने कहा — “गंगा हमारी पहचान है, हमारी संस्कृति की धारा है। यह एक दिन का नहीं, बल्कि निरंतर चलने वाला कार्य है। जब तक गाय और गंगा सुरक्षित नहीं होंगी, तब तक ‘राम का काम पूरा नहीं होगा।’” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अभियान किसी राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित नहीं है, बल्कि समाज में चेतना जगाने का प्रयास है।
उन्होंने बताया कि गंगा अभियान के साथ-साथ वह गो-संरक्षण को भी समान महत्व दे रही हैं। उनके अनुसार, गंगा और गाय दोनों ही भारतीय जीवन दर्शन और आध्यात्मिकता के प्रतीक हैं, जिनकी रक्षा राष्ट्र के नैतिक कर्तव्यों में शामिल है।
संगम तट पर साधु-संतों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों का जमावड़ा इस अभियान की गंभीरता को दर्शाता है। उमा भारती ने कहा कि अब समय आ गया है कि हर नागरिक, श्रद्धालु और युवा गंगा की रक्षा के लिए आगे आए। “गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति की जीवंत धारा है। अगर जनभागीदारी और तप का संगम हो जाए, तो वह दिन दूर नहीं जब गंगा फिर से बहेगी — अविरल और निर्मल।”
