पालक की खेती से लाखों की कमाई का राज़: ऐसे बचाएं अपनी फसल को कीटों और रोगों से और पाएं मंडी में ऊंचे दाम


पालक की फसल में लगने वाले कीट और रोग

फसल को सुरक्षित रखने के उपाय
पालक के खेत को हमेशा खरपतवार मुक्त रखें क्योंकि खरपतवार रोग फैलाने वाले कीटों का घर होता है। संक्रमण दिखते ही फफूंदनाशक या कीटनाशक का छिड़काव करें। फसल की थोड़ी ग्रोथ होने के बाद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का छिड़काव करना बहुत जरूरी होता है ताकि पौधों की बढ़वार तेजी से हो सके और पत्तों का रंग गहरा हरा दिखे।
आप MOP (म्यूरिएट ऑफ पोटाश) का छिड़काव कर सकते हैं जो पोटाश की कमी को पूरा करने में मदद करता है। बुवाई के समय इसे जिंक सल्फेट और सल्फर के साथ बेसल डोज के रूप में देना चाहिए। इसके अलावा फसल में NPK घुलनशील उर्वरक का संतुलित उपयोग करना भी जरूरी है। पालक के लिए उच्च नाइट्रोजन वाला अनुपात 20:10:10 सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यह पत्तों की तेजी से वृद्धि में मदद करता है। साथ ही खेत में गोबर की खाद डालना न भूलें क्योंकि यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाकर पौधों को मजबूती देती है।
उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली पालक के फायदे
अगर आपकी पालक की फसल उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली है तो मंडी में आपको ऊंचे दाम जरूर मिलेंगे। संतुलित उर्वरकों और सही देखभाल से पत्ते स्वस्थ और रोग-मुक्त उगते हैं जिससे किसानों की कमाई कई गुना बढ़ जाती है। पालक की खेती की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह कम लागत और कम समय में तैयार होने वाली फसल है। यानी अगर आप थोड़ी सी मेहनत और सावधानी बरतें तो पालक की खेती से जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञों और किसानों के अनुभव पर आधारित है। खेती करने से पहले अपने नजदीकी कृषि अधिकारी या वैज्ञानिक की सलाह जरूर लें