गेहूं की HI 1650 वैरायटी: कम समय में ज्यादा उत्पादन देने वाली बेहतरीन किस्म, किसान जरूर करें इसकी खेती


गेहूं की बुवाई का सही समय और मिट्टी

इस किस्म की खेती के लिए दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है क्योंकि इसमें जल धारण क्षमता अधिक होती है। बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करें और मिट्टी में कम्पोस्ट खाद जरूर डालें ताकि फसल को भरपूर पोषण मिल सके। प्रति हेक्टेयर लगभग 100 से 120 किलोग्राम बीज पर्याप्त रहता है और बीजों को बुवाई से पहले उपचारित करना बहुत जरूरी है ताकि रोगों से सुरक्षा मिल सके।
गेहूं की एचआई 1650 किस्म की खासियतें
गेहूं की यह वैरायटी रबी सीजन की सिंचित फसल के लिए उपयुक्त है और इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह रोग प्रतिरोधी होती है। यह फसल लगभग 115 से 120 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है यानी यह जल्दी तैयार होने वाली वैरायटी है।
इसके दाने मजबूत, चमकदार और वजनदार होते हैं जिससे बाजार में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है। इसकी रोटी भी स्वादिष्ट बनती है, इसलिए उपभोक्ता इसे पसंद करते हैं। यही वजह है कि इस किस्म का उत्पादन करने वाले किसानों को अच्छा दाम मिल जाता है।
उपज और मुनाफा
अब बात करते हैं उपज की, तो इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 57.2 क्विंटल से 73.8 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है जो किसी भी किसान के लिए बेहद फायदेमंद है। बेहतर प्रबंधन और सिंचाई के साथ आप इससे और अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। इसकी बाजार में उच्च गुणवत्ता और चमकदार दानों के कारण भाव भी अच्छा मिलता है।
अगर आप व्यावसायिक रूप से गेहूं की खेती करना चाहते हैं तो एचआई 1650 किस्म आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। यह न केवल कम समय में तैयार होती है बल्कि अधिक मुनाफा भी देती है।
दोस्तों, अगर आप इस रबी सीजन में गेहूं की खेती करने की सोच रहे हैं तो एचआई 1650 वैरायटी को जरूर अपनाएं। यह किस्म कम समय में ज्यादा उत्पादन, बेहतर दाने की गुणवत्ता और बाजार में उच्च मांग के लिए जानी जाती है। सही तरीके से बुवाई और सिंचाई करने पर आप इस वैरायटी से शानदार मुनाफा कमा सकते हैं।