नवंबर में गाजर की खेती का सुनहरा मौका पूसा रुधिरा किस्म से सिर्फ 90 दिनों में पाएं रिकॉर्ड उपज और शानदार मुनाफा
नवंबर का महीना खेतों में नई उम्मीदों का समय होता है और इसी समय गाजर की खेती किसानों को कम लागत में बेहतरीन मुनाफा दिला सकती है. गाजर एक ऐसी फसल है जिसका उपयोग सब्जी सलाद जूस और अचार जैसे कई रूपों में होता है. इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है इसलिए इसे उगाने पर हमेशा अच्छा बाजार मूल्य मिल जाता है.
नवंबर में गाजर की बुवाई क्यों है सबसे खास
पूसा रुधिरा जैसी उच्च गुणवत्ता वाली किस्म खास तौर पर नवंबर में बुवाई के लिए उत्तम मानी जाती है. यह किस्म खेती के लगभग 90 से 100 दिनों बाद तैयार हो जाती है और एक हेक्टेयर में लगभग 300 क्विंटल तक की उपज देने की क्षमता रखती है. इसकी रंगत स्वाद और मजबूती इसे बाजार में अधिक पसंदीदा बनाते हैं.
गाजर के लिए मौसम और क्षेत्रीय समय
गाजर एक ठंड पसंद करने वाली फसल है इसलिए उत्तर भारत में अक्टूबर से दिसंबर तक इसकी बुवाई सबसे उपयुक्त मानी जाती है. वहीं पहाड़ी इलाकों में मार्च से जुलाई तक और दक्षिण भारत के कई हिस्सों में अगस्त से फरवरी तक इसकी खेती की जा सकती है. मौसम के अनुसार सही समय पर बुवाई करने से इसकी जड़ों का विकास बेहतर होता है और उत्पादन भी बढ़ता है.
ऐसे करें खेती की सही तैयारी
गाजर की खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छी तरह तैयारी बेहद जरूरी है. मिट्टी जितनी भुरभुरी और उपजाऊ होगी उतनी ही सुंदर और सीधी गाजरें तैयार होंगी. इसलिए अंतिम जुताई के समय खेत में वर्मी कंपोस्ट या अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाना चाहिए. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और रासायनिक खादों की आवश्यकता भी कम हो जाती है जिससे कुल लागत घटती है और उत्पादन बेहतर होता है.
खेत तैयार होने के बाद प्रमाणित बीज ही चुनने चाहिए. सही किस्म की बुवाई से फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों में बड़ा अंतर आता है. पूसा रुधिरा किस्म इस समय के लिए उत्तम विकल्प है जो कम समय में मजबूती और रंगत से भरपूर गाजर उपलब्ध कराती है.
गाजर की खेती क्यों देती है स्थिर आय
गाजर एक ऐसी फसल है जिसकी मांग पूरे वर्ष बनी रहती है. यह न सिर्फ घरों में बल्कि बाजारों होटल उद्योग जूस स्टॉल और प्रोसेसिंग यूनिट्स में लगातार इस्तेमाल की जाती है. इसके कारण गाजर का बाजार मूल्य हमेशा स्थिर रहता है और एक ही कटाई में अच्छी मात्रा में उत्पादन मिलने से किसान को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है.
नवंबर का समय गाजर की सफल खेती के लिए सोने जैसा माना जाता है. सही समय पर बुवाई अच्छी किस्म का चयन और मिट्टी की अच्छी तैयारी मिलकर बेहतरीन उपज और मजबूत आय सुनिश्चित करते हैं. कम लागत में अधिक उत्पादन पाने के इच्छुक किसान के लिए गाजर की खेती एक लाभदायक विकल्प बनकर उभरती है
