सर्दियों में गाजर की खेती से होगी बंपर कमाई उन्नत हाई यील्ड किस्मों की भारी मांग किसानों की आय कई गुना बढ़ेगी

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सर्दियों का मौसम शुरू होते ही खेतों में रौनक बढ़ जाती है और इन्हीं रौनकों के बीच गाजर की खेती किसानों को शानदार मुनाफा भी दिला रही है। गाजर एक ऐसी फसल है जो सर्दियों में सबसे ज्यादा पसंद की जाती है और इसी कारण इसकी मार्केट में हमेशा अच्छी मांग बनी रहती है। सही तकनीक और सही किस्मों का चुनाव करके किसान कम समय में अधिक उत्पादन पा सकते हैं और अपनी आय कई गुना बढ़ा सकते हैं।

गाजर की खेती क्यों है इतनी फायदे की

गाजर सर्दियों की प्रमुख फसल मानी जाती है। इस मौसम में इसकी खपत बहुत ज्यादा होती है जिससे किसानों को बाजार में बेहतर दाम मिल जाते हैं। यही वजह है कि आज के समय में गाजर की खेती एक लाभदायक और भरोसेमंद विकल्प बन चुकी है। अगर किसान सही मौसम में सही किस्मों के साथ खेती करें तो वे कम लागत में लाखों कामुनाफा कमा सकते हैं।

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कौन सी किस्में देती हैं सबसे ज्यादा पैदावार

सर्दियों में कई ऐसी उन्नत किस्में हैं जो कम समय में तैयार हो जाती हैं और किसानों को अधिक उत्पादन देती हैं। ये किस्में कम रोग लगने वाली और बेहतर रंग स्वाद तथा आकार वाली होती हैं जिससे मार्केट में इनकी भारी मांग रहती है।

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हिसार रसीली की खासियत

इस किस्म की मांग हर साल बनी रहती है। इसका रंग गहरा लाल होता है और यह लंबी तथा पतली दिखाई देती है। इसकी लंबाई लगभग 30 से 35 सेंटीमीटर तक होती है। यह किस्म लगभग 85 से 95 दिनों में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में 150 से 200 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह रोग प्रतिरोधक होती है।

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पूसा मेघाली से बढ़िया रंग और ज्यादा उपज

यह किस्म 100 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है। इसका रंग आकर्षक नारंगी होता है और इसमें केरोटीन की मात्रा भी काफी अधिक पाई जाती है। अच्छी देखरेख के साथ इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 270 से 300 क्विंटल तक उपज मिल सकती है।

पूसा वसुधा की तेजी से बढ़ने वाली पैदावार

यह किस्म गर्म इलाकों में भी आसानी से उगाई जा सकती है। यह लगभग 85 से 90 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर लगभग 35 टन तक उत्पादन देती है और इसकी जड़ें मजबूत तथा अच्छी गुणवत्ता वाली होती हैं।

पूसा कुल्फी की विशेषता

यह किस्म पीले रंग की गाजर पैदा करती है। इसकी फसल 90 से 100 दिनों में तैयार मानी जाती है। इसकी औसत पैदावार लगभग 25 टन प्रति हेक्टेयर मिलती है। इसका स्वाद भी बेहद अलग और खास माना जाता है।

पूसा केसर की भारी डिमांड

इस किस्म का रंग गहरा लाल और आकार छोटा होता है। यह किस्म लगभग 90 से 110 दिनों में तैयार होती है। अच्छी देखरेख के साथ इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 300 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है जिससे किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।

सर्दियों के मौसम में गाजर की खेती किसानों के लिए बेहतरीन अवसर लेकर आती है। सही किस्म का चुनाव और समय पर खेती करने से किसान कम समय में अधिक उत्पादन और बेहतर आमदनी पा सकते हैं। इन उन्नत किस्मों की मांग बाजार में लगातार बनी रहती है जिससे किसान पूरे सीजन अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

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