फूलगोभी की खेती ठंडी जलवायु में कैसे देती है बंपर पैदावार और किसानों को लाखों का मुनाफा

सर्दियों के मौसम में जब हमारी थाली में गरमा-गरम पराठे हों या फिर स्वादिष्ट सब्जी हो तो उसमें फूलगोभी का होना हर किसी को अच्छा लगता है। यही वजह है कि फूलगोभी भारत की सबसे लोकप्रिय सब्जियों में गिनी जाती है। यह न केवल स्वाद और स्वास्थ्य का खजाना है बल्कि किसानों के लिए भी आय का एक बेहतरीन साधन है। अगर इसकी खेती सही तरीके से की जाए तो किसान भाई घर की जरूरतों के साथ-साथ बाजार से भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
अच्छी पैदावार के लिए बीजों का चुनाव सावधानी से करना चाहिए। बीजों को नर्सरी में बोना और 25 से 30 दिन बाद खेत में रोपाई करना सबसे फायदेमंद होता है। रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए और उसके बाद हर 8 से 10 दिन पर हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए। ध्यान रहे कि फूलगोभी को नमी पसंद है लेकिन ज्यादा पानी से यह फसल खराब हो सकती है।
खेती के दौरान निराई गुड़ाई नियमित रूप से करना चाहिए ताकि खरपतवार फसल को नुकसान न पहुंचा सके। खाद डालते समय नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग करना जरूरी है। नाइट्रोजन को दो किस्तों में देना फसल के लिए बेहतर होता है। अगर पौधों पर तना छेदक, माहू या झुलसा जैसी बीमारियों का हमला होता है तो समय-समय पर दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। जैविक तरीके अपनाने वाले किसान नीम का घोल या गोमूत्र का छिड़काव भी कर सकते हैं।
फूलगोभी की फसल रोपाई के करीब 90 से 120 दिन में तैयार हो जाती है। जब फूल सफेद और कसे हुए दिखें तभी उन्हें तोड़ लेना चाहिए क्योंकि देरी करने पर फूल पीले पड़ जाते हैं और बाजार में उनका भाव घट जाता है। समय पर कटाई और देखभाल करने से किसान भाई बेहतरीन पैदावार पा सकते हैं। यह फसल न केवल घर की जरूरत पूरी करती है बल्कि मंडी में भी अच्छी कीमत दिलाकर किसानों की आमदनी को बढ़ा देती है।
तो दोस्तों अगर आप भी सर्दियों में कोई ऐसी सब्जी उगाना चाहते हैं जो हर घर की पसंद हो और साथ ही आपकी जेब भी भर दे तो फूलगोभी की खेती आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकती है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञों और शोध पर आधारित है। खेती शुरू करने से पहले किसान भाई अपने स्थानीय कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह जरूर लें।