जापानी स्टील कंपनियों का भारत में विस्तार: बढ़ती मांग और उत्पादन ने खोली नए निवेश के द्वार- Steel Sector

Japanese steel companies investment India: जापान की प्रमुख स्टील कंपनियां अब भारत की ओर विशेष ध्यान दे रही हैं। जापान आयरन एंड स्टील फेडरेशन के प्रतिनिधि काजुओ माइक फुजिसावा ने कहा कि भारत में स्टील उत्पादन में तेज़ी से वृद्धि हो रही है और बड़ी जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति स्टील की खपत भी लगातार बढ़ रही है। यही कारण है कि जापानी कंपनियां भारत में अपने कारोबार का विस्तार करने के लिए आकर्षित हो रही हैं।
जेएफई और जेएसडब्ल्यू स्टील का संयुक्त उद्यम
कर्नाटक में नई सुविधा का निर्माण
फुजिसावा ने कहा कि इस संयुक्त उद्यम ने 12 फरवरी, 2024 को कर्नाटक के बेल्लारी में ग्राउंडब्रेकिंग समारोह आयोजित किया था। इस नई सुविधा का लक्ष्य वित्त वर्ष 2027 तक पूर्ण उत्पादन शुरू करना और भारत में बढ़ते विद्युत स्टील बाजार की मांग को पूरा करना है।
निप्पॉन स्टील और आर्सेलर मित्तल का संयुक्त उद्यम
जापान की निप्पॉन स्टील और भारत की आर्सेलर मित्तल का संयुक्त उद्यम भी भारत में अपनी क्षमता विस्तार की योजना बना रहा है। दिसंबर 2019 में दिवालिया एस्सार स्टील के अधिग्रहण के बाद यह संयुक्त उद्यम स्थापित हुआ। यह भारत में एक एकीकृत फ्लैट स्टील निर्माता है, जो ऑटोमोटिव और बुनियादी ढांचा उद्योगों के लिए स्टील उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है।
व्यापार में चुनौतियां और सहयोग की जरूरत
फुजिसावा ने कहा कि भारत में व्यापार करना आसान नहीं है। जापानी कंपनियों के लिए भारत में सफल होने के लिए अच्छी तरह से स्थापित स्थानीय साझेदार कंपनियों की जरूरत है। इसके बिना निवेश और उत्पादन की योजनाएं प्रभावी रूप से लागू नहीं हो सकतीं।
जापानी उद्योग और अमेरिकी टैरिफ का असर
जापान के टैरिफ मुद्दों पर फुजिसावा ने बताया कि जापानी उद्योग अमेरिका के साथ व्यापारिक समस्याओं का समाधान खोजने में लगा है। अमेरिकी टैरिफ में हाल ही में कमी ने जापानी कार और स्टील कंपनियों के लिए राहत दी है। जापान की प्रमुख कार निर्माता कंपनियां टोयोटा, होंडा, निसान और सुजुकी इस फैसले से प्रभावित हुई हैं।
भारत में निवेश के अवसर उज्जवल
कुल मिलाकर, भारत का बढ़ता स्टील बाजार जापानी कंपनियों के लिए आकर्षक बन रहा है। बढ़ती मांग, उत्पादन और देश की जनसंख्या के कारण निवेश की संभावनाएं व्यापक हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में और अधिक संयुक्त उद्यम और निवेश योजनाओं का जन्म हो सकता है, जिससे भारत के स्टील उद्योग को नई गति मिलेगी।