सुप्रीम कोर्ट ने एशियन पेंट्स की याचिका खारिज, सीसीआई की जांच को मिली हरी झंडी

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश के खिलाफ एशियन पेंट्स की याचिका को खारिज करते हुए साफ संकेत दिया कि यह जांच आगे बढ़ेगी। एशियन पेंट्स ने सीसीआई के उस निर्देश को चुनौती दी थी, जिसमें कंपनी पर सजावटी पेंट्स निर्माण और बिक्री में प्रभुत्वशाली स्थिति का कथित दुरुपयोग करने के आरोप की जांच का आदेश दिया गया था। अदालत में न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने स्पष्ट किया कि वे बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट पहले ही सीसीआई की जांच को बरकरार रख चुका था। सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद याचिका वापस ली गई और खारिज कर दी गई।
ग्रासिम इंडस्ट्रीज की शिकायत बनी विवाद का कारण

धारा 4 के उल्लंघन का प्रथम दृष्टया मामला
सीसीआई ने आदेश में कहा कि आयोग की राय में एशियन पेंट्स ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 4(2)(A)(I), 4(2)(C) और 4(2)(D) के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। यह धारा बाज़ार में प्रभुत्वशाली स्थिति के दुरुपयोग पर रोक लगाती है। नियामक ने अपने बयान में साफ किया कि कंपनी के डीलरों पर ऐसे अनुचित और बाध्यकारी शर्तें थोपी जा रही हैं, जो प्रतिस्पर्धियों के साथ उनके लेनदेन को रोकती हैं।
बाजार में नए खिलाड़ियों के लिए बाधाएं खड़ी करने का आरोप
आयोग के अनुसार, एशियन पेंट्स आवश्यक कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं, मकान मालिकों, सीएंडएफ एजेंटों और ट्रांसपोर्टरों पर दबाव डालकर उन्हें ग्रासिम जैसे प्रतिस्पर्धियों से दूरी बनाने के लिए मजबूर कर रहा है। यह आचरण न केवल नए खिलाड़ियों के लिए बाजार में प्रवेश कठिन बना रहा है, बल्कि मौजूदा प्रतिस्पर्धा को भी कमजोर कर रहा है। सीसीआई ने इसे प्रथम दृष्टया भारत में प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला व्यवहार माना।
जांच पर अंतिम फैसला अभी बाकी
हालांकि आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि उसकी टिप्पणियां मामले के गुण-दोष पर अंतिम राय नहीं हैं, और महानिदेशक को निर्देश दिया कि वे जांच निष्पक्ष रूप से करें। साथ ही, जांच पूरी करने के लिए 90 दिनों की समय सीमा तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस बात का संकेत है कि प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार के मामलों में उच्चतम न्यायालय सीसीआई की भूमिका को गंभीरता से लेता है।