आगरा में बैंक मैनेजर हत्याकांड का आया फैसला, कलेक्ट्रेट बार अध्यक्ष, बेटी और बेटे दोषी करार
गर्म सरिए से दागने और प्राइवेट पार्ट पर वार का आरोप, आज सुनाई जायेगी सजा

आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा में दो साल पहले हुए बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय हत्याकांड में आखिरकार अदालत का बड़ा फैसला सामने आया है। एडीजे-17 कोर्ट ने मंगलवार को मृतक सचिन की पत्नी प्रियंका रावत, उनके ससुर (जो कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष थे) बिजेंद्र रावत, और साले कृष्णा रावत को हत्या का दोषी करार दिया है। कोर्ट 18 गवाहों के बयानों और साक्ष्यों के आधार पर बुधवार को तीनों दोषियों को सजा सुनाएगी।

हत्या का जघन्य तरीका
बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय की हत्या 12 अक्टूबर, 2023 को आगरा की पॉश कॉलोनी रामरघु एग्जॉटिका स्थित उनके घर में की गई थी। शुरुआत में इस मामले को आत्महत्या बताने की कोशिश की गई, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सचिन के पिता के आरोपों ने साजिश की परतें खोल दीं।
एफआईआर में सचिन के पिता केशव देव शर्मा ने आरोप लगाया था कि उनकी बहू प्रियंका, उसके पिता बिजेंद्र रावत (कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष) और भाई कृष्णा रावत ने मिलकर सचिन को बेरहमी से पीटा था। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपियों ने मिलकर सचिन को बांधा, फिर गर्म सरिए से दागा और डंडों से उनके प्राइवेट पार्ट्स पर भी वार किए, जिससे सचिन की मौके पर ही मौत हो गई। मौके पर खून के निशान और साफ की गई चादरें भी मिली थीं।
वैवाहिक विवाद और पेट्रोल पंप की अर्जी बनी झगड़े की जड़
सचिन उपाध्याय की शादी 9 साल पहले बिजेंद्र रावत की बेटी प्रियंका रावत से हुई थी। बिजेंद्र रावत स्थानीय स्तर पर काफी प्रभावशाली माने जाते थे। शादी के बाद परिवार ने सचिन को शहर में मकान दिला दिया था, लेकिन वैवाहिक जीवन में जल्द ही दरार आ गई।
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गांव से जुड़ाव: सचिन का अपने गांव और माता-पिता से जुड़ा रहना पत्नी प्रियंका को पसंद नहीं था। गांव से लौटने पर अक्सर घर में झगड़ा होता था।
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पेट्रोल पंप की अर्जी: झगड़े की सबसे बड़ी जड़ तब बनी, जब कुछ महीने पहले सचिन के पिता केशव देव शर्मा ने अपने छोटे बेटे के नाम पेट्रोल पंप के लिए आवेदन कर दिया। यह बात प्रियंका, उसके पिता बिजेंद्र और भाई कृष्णा को नागवार गुजरी, जिसके बाद सचिन पर मानसिक और शारीरिक दबाव बढ़ गया।
आरोप है कि 11 अक्टूबर, 2023 को जब सचिन गांव से लौटे, तो प्रियंका ने अपने पिता और भाई को बुला लिया और रात में तीनों ने मिलकर इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया।
रसूख का इस्तेमाल पड़ा भारी
बिजेंद्र रावत कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष थे और उन्होंने अपने रसूख का फायदा उठाकर मामले को दबाने और हत्या को आत्महत्या बताने की कोशिश की। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और 18 गवाहों की गवाही ने इस साजिश को बेनकाब कर दिया। कोर्ट ने मंगलवार को तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया और अब बुधवार को इन्हें सजा सुनाई जाएगी।
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