कुआलालंपुर में अमेरिका-चीन की बड़ी वार्ता शुरू! ट्रंप-शी की ऐतिहासिक मुलाकात का रास्ता बनाने की तैयारी

मलेशिया के मंच से वैश्विक तनाव घटाने की कोशिश

100 प्रतिशत टैरिफ धमकी बनी केंद्र बिंदु
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में चीनी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत तक नए टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी, जिसे 1 नवंबर से लागू किया जा सकता है। इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खलबली मचा दी है। चीन ने इसके जवाब में अपने रेयर अर्थ एलिमेंट्स और खनिजों पर निर्यात नियंत्रण कड़ा किया है। इन हालातों ने व्यापारिक वार्ता को और अधिक जटिल बना दिया है।
संवेदनशील मोड़ पर पहुंची बातचीत का दौर
ब्रिटिश दैनिक 'द सन' की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट, व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर और चीनी उप-प्रधानमंत्री ही लिफेंग ने मई से अब तक चार दौर की गुप्त बैठकों में संघर्ष विराम की रणनीति तैयार की थी, लेकिन हाल की धमकियों ने इसे हिला दिया है। यह नई बैठक पूर्व की रणनीति को फिर से दिशा देने की कोशिश है।
गोपनीय वातावरण में चल रही डिप्लोमेसी की कवायद
कुआलालंपुर में जारी मौजूदा वार्ता को दोनों देशों की सरकारों ने काफी गुप्त रखा है। बताया जा रहा है कि न तो इस बैठक के एजेंडे की पूरी जानकारी दी गई है, न ही परिणामों पर कोई प्रेस कांफ्रेंस की योजना है। दोनों पक्ष यहां से दक्षिण कोरिया के एपीईसी शिखर सम्मेलन की दिशा में रास्ता साफ करना चाहते हैं, जहां ट्रंप और शी जिनपिंग की प्रत्यक्ष मुलाकात संभव है।
कृषि और सुरक्षा मुद्दे पर ट्रंप के संकेत
बैठक शुरू होने से पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने संकेत दिया कि वे वार्ता में अमेरिकी किसानों के हितों पर विशेष चर्चा करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एशिया दौरे के दौरान वे ताइवान से जुड़े मुद्दों पर भी विचार करेंगे, हालांकि उनका फिलहाल ताइवान जाने का कोई कार्यक्रम नहीं है। हांगकांग के कारोबारी जिमी लाई की रिहाई का मामला भी अमेरिकी एजेंडे में शामिल है।
विशेषज्ञों की राय में मिश्रित उम्मीदें
अटलांटिक काउंसिल के जोश लिप्स्की के अनुसार, दोनों देशों को तकनीकी निर्यात नियंत्रण और चीन के रेयर अर्थ प्रतिबंधों पर समाधान निकालना होगा। वहीं, सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के स्कॉट कैनेडी का मानना है कि अगर वार्ता असफल रही, तो आने वाले महीनों में तनाव और बढ़ सकता है।
मई की बैठक ने दिलाई थी अस्थायी राहत
मई में हुई पिछली मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच 90 दिनों का व्यापार युद्धविराम लागू किया गया था। उस दौरान टैरिफ में उल्लेखनीय गिरावट आई थी, जिससे बाजारों में स्थिरता लौटी थी। मौजूदा वार्ता का उद्देश्य उसी राहत को लंबे समय तक बरकरार रखना है ताकि विश्व अर्थव्यवस्था को टकराव से बचाया जा सके।
