नोएडा में पूर्व मंत्री डीपी यादव और पत्नी समेत 9 पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज, भूखंड कब्जे का है विवाद
कोर्ट के आदेश पर सेक्टर 126 थाने में मामला दर्ज; संपत्ति मालिक ने फर्जीवाड़ा कर कब्जाने का लगाया आरोप
गौतम बुद्ध नगर : नोएडा के सलारपुर गाँव की 14 हजार वर्ग मीटर जमीन को लेकर चल रहे एक बड़े विवाद में पूर्व मंत्री और सांसद डीपी यादव, उनकी पत्नी, बेटे समेत कुल नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। संपत्ति मालिक अशोक वाडिया ने आरोपितों पर फर्जीवाड़ा कर जमीन पर अवैध कब्जा करने और जान से मारने की धमकी देने का गंभीर आरोप लगाया है।
कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
पूर्व मंत्री समेत नौ आरोपितों के खिलाफ यह मुकदमा कोर्ट के आदेश पर सेक्टर 126 थाने में दर्ज कराया गया है। डीसीपी यमुना प्रसाद ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर डीपी यादव, पवन जिंदल, सुरेश गोयल, देवेश यादव, रामफल शर्मा, उमलेश यादव, कुनाल यादव, रविंद्र सिंह, अभय उपाध्याय व अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जाँच शुरू कर दी गई है।
विवाद की पृष्ठभूमि
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जमीन का इतिहास: सलारपुर गाँव में स्थित यह 14 हजार वर्ग मीटर जमीन मूलतः अशोक वाडिया और गोरखपुर के पवन जिंदल की संयुक्त खातेदारी में थी।
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मालिकाना हक: पवन जिंदल ने 1989 में अपना हिस्सा अशोक वाडिया को बेच दिया था, जिसके बाद वाडिया ने अन्य लोगों से भी हिस्सा खरीद लिया। वाडिया के पास 2001 से इस जमीन का मालिकाना हक बताया जाता है।
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आरोप: वाडिया का आरोप है कि पवन जिंदल ने पूर्व मंत्री डीपी यादव और उनके सगे-संबंधियों/सहयोगियों के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा किया। कथित तौर पर, अगस्त 2025 में अशोक वाडिया की जमीन का विक्रय पत्र फर्जी कागजातों के आधार पर आरोपितों के पक्ष में दिखा दिया गया। जब आरोपित फर्जी कागजात के आधार पर जमीन पर कब्जा लेने पहुँचे, तो विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दी गई और वाडिया के देखरेख करने वालों का सेक्टर 125 में रास्ता भी रोका गया।
पुलिस विभाग में चर्चा और जवाबी मुकदमा
इस मामले में पुलिस विभाग में यह चर्चा है कि यह जमीन विवाद 90 के दशक से चल रहा है और यह एकतरफा मामला नहीं है।
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दबाव बनाने का आरोप: जानकार बताते हैं कि इस मुकदमे के वादी अशोक वाडिया, उनके भाई अनिल वाडिया सहित एक दर्जन लोगों के खिलाफ 29 अक्टूबर को पवन जिंदल की ओर से सेक्टर 49 थाने में पहले ही एक मुकदमा (वाडिया बंधुओं समेत 30 के खिलाफ) दर्ज कराया जा चुका है। आशंका जताई जा रही है कि वाडिया ने यह जवाबी मुकदमा दबाव बनाने की रणनीति के तहत सेक्टर 126 थाने में दर्ज करवाया है।
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डीपी यादव का पक्ष: कुछ जानकारों का कहना है कि पूर्व मंत्री डीपी यादव का धोखाधड़ी से कोई सीधा संबंध नहीं है और उन्होंने पैसे देकर जमीन खरीदी है, लेकिन वे विवाद के केंद्र में आ गए हैं।
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खरीददारों की परेशानी: बताया जाता है कि वाडिया और पवन जिंदल से वर्ष 2024-25 में जमीन खरीदने वाले दो दर्जन से ज्यादा लोग अपना पैसा फँसाकर परेशान घूम रहे हैं, क्योंकि वाडिया और जिंदल एक-दूसरे पर आरोप लगाकर उन्हें भी मुकदमे में फंसा रहे हैं।
थाना क्षेत्र बदलने पर भी सवाल
सबसे बड़ी चर्चा का विषय यह है कि घटनास्थल थाना सेक्टर 49 क्षेत्र का होने के बावजूद, किस तरह से इसे मैनेज करके थाना सेक्टर 126 क्षेत्र का बनाया गया है। लोगों का कहना है कि अगर झगड़ा सेक्टर 126 में हुआ भी है, तो धोखाधड़ी का मुख्य मुकदमा वहाँ क्यों दर्ज हुआ, जबकि संपत्ति सलारपुर की है। इस पूरे मामले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
