भागलपुर में मुस्लिमों की सबसे बड़ी आबादी, फिर भी टिकट के मामले में उपेक्षा—सिर्फ चार प्रत्याशी मैदान में


सियासत में चर्चा तेज

टिकट को लेकर खींचतान
भागलपुर सीट से कांग्रेस ने फिर से अजीत शर्मा को टिकट दिया है, जिससे राजद खेमे में असंतोष देखने को मिला। राजद से जुड़े डिप्टी मेयर सलाउद्दीन अहसन ने नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान भी किया था, हालांकि 20 अक्टूबर को पार्टी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने नामांकन वापस ले लिया। कहलगांव, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या सर्वाधिक है, वहां महागठबंधन से दो-दो उम्मीदवार मैदान में हैं-यहां सीधे राजद और कांग्रेस के बीच टकराव है। सुल्तानगंज में भी यही हाल है, जहां मुस्लिम वोटर तीसरे बड़े समूह के रूप में मौजूद हैं।
एम फैक्टर हमेशा से प्रभावशाली
भागलपुर की राजनीति में मुस्लिम वोटरों का प्रभाव हमेशा से निर्णायक रहा है। हर चुनाव में यह तबका जीत-हार का महत्वपूर्ण घटक बनता है। महागठबंधन पारंपरिक रूप से इस वोट बैंक को अपने समर्थन आधार के रूप में देखता आया है, वहीं एनडीए भी सामाजिक समीकरणों के माध्यम से इस वोटर समूह को आकर्षित करने की कोशिश करता है। लेकिन इस बार दलों के फैसले यह संकेत दे रहे हैं कि रणनीति में मुस्लिम चेहरों को प्राथमिकता नहीं दी गई।
2020 में संख्या अधिक थी
पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में जिले से 95 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें 10 मुस्लिम उम्मीदवार शामिल थे। उस वक्त राजद ने नाथनगर से अली अशरफ सिद्दीकी पर भरोसा जताया था और यह सीट महागठबंधन की झोली में गई थी। उसी चुनाव में एनसीपी, आरएलएसपी और जन अधिकार पार्टी जैसे छोटे दलों ने भी मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। नाथनगर, बिहपुर और गोपालपुर सीटों पर तीन-तीन मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में थे। यही कारण है कि इस बार उम्मीदवारों की घटती संख्या को मुस्लिम प्रतिनिधित्व की कमी के रूप में देखा जा रहा है।