बिहार विधानसभा चुनाव 2025: 30% कम प्रत्याशी, 2005 के बाद सबसे छोटी चुनावी जंग शुरू

बढ़े जीत के अवसर

उम्मीदवार चयन में आई परिपक्वता
अगर इतिहास पर नजर डालें तो बिहार के विधानसभा चुनावों में 1990 से 2000 के बीच सबसे ज्यादा प्रत्याशी मैदान में उतरते थे। उस दौर में औसतन हर चुनाव में 3500 से ज्यादा उम्मीदवार होते थे। वहीं 2010 से 2020 के बीच प्रत्याशियों की संख्या स्थिर थी, लेकिन अब 2025 के चुनाव में राजनीति का चेहरा सिमटता हुआ दिखाई दे रहा है। जानकार मानते हैं कि यह गिरावट राजनीतिक दलों की “गुणवत्ता बनाम मात्रा” की नई सोच का संकेत है।
कई स्थानों पर दो-दो ईवीएम जरूरी
इस बार ऐसे कई विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां प्रत्याशियों की संख्या 16 से अधिक है। इनमें दरभंगा जिले की बहादुरपुर सीट (17 प्रत्याशी), मुजफ्फरपुर की कुढ़नी (20), मुजफ्फरपुर सदर (20), वैशाली की महनार (18), कटिहार का बलरामपुर (18), कैमूर का चैनपुर (22), रोहतास का सासाराम (22), औरंगाबाद का ओबरा (18) और गया का गया शहर (22 प्रत्याशी) शामिल हैं। भारतीय निर्वाचन आयोग के अनुसार, इन सीटों पर दो-दो ईवीएम का उपयोग किया जाएगा, क्योंकि एक ईवीएम में केवल 16 प्रत्याशियों के नाम और चुनाव चिन्ह ही दर्ज किए जा सकते हैं।
युवा और नए चेहरों पर ज्यादा भरोसा
राज्य के बड़े दलों ने इस बार टिकट वितरण में बड़ी सतर्कता बरती है। भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस जैसे प्रमुख दलों ने युवा नेताओं व सामाजिक प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी है। तमाम राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस चुनाव का फोकस “स्थानीय मुद्दों बनाम राष्ट्रीय अपील” पर केंद्रित रहेगा। वहीं चुनाव आयोग ने निष्पक्ष मतदान के लिए सभी जिलों में सख्त प्रशासनिक और तकनीकी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।
