गोपालगंज में रफ्तार बनी मौत: ट्रैफिक नियमों की अनदेखी से हर साल 200 से ज्यादा सड़क हादसे

Gopalganj Road Accident: गोपालगंज जिले में सड़क हादसों का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है वाहनों की तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन। नेशनल हाइवे से लेकर स्टेट हाइवे तक गति सीमा का पालन न करना आम बात हो चुकी है। नतीजा यह है कि लोग समय से पहले मौत का शिकार हो रहे हैं और कई लोग स्थायी अपंगता की समस्या झेलने पर मजबूर हैं।
हर साल 200 से ज्यादा सड़क हादसे
गति सीमा का पालन नहीं
फोरलेन पर 80 किमी और टू-लेन पर 60 किमी प्रतिघंटा की गति सीमा तय की गई है। वहीं आबादी वाले क्षेत्रों में अधिकतम 30 किमी की स्पीड निर्धारित है। लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश वाहन चालक निर्धारित गति सीमा की अनदेखी कर हाई स्पीड पर वाहन चलाते हैं, जिससे हादसे लगातार बढ़ रहे हैं।
जांच व्यवस्था कागजों तक सीमित
हाईवे पर वाहनों की रफ्तार पर नियंत्रण के लिए पुलिस और परिवहन विभाग को आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। इनमें स्पीड जांचने वाले यंत्र और ट्रैफिक इंटरसेप्टर वाहन भी शामिल हैं। लेकिन ये व्यवस्थाएं सिर्फ कागजों पर ही सीमित रह गई हैं। धरातल पर न तो नियमित जांच की जाती है और न ही स्पीड कंट्रोल को लेकर कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं।
ट्रैफिक इंटरसेप्टर वाहन नदारद
आधुनिक यंत्रों से लैस ट्रैफिक इंटरसेप्टर वाहन हाई स्पीड गाड़ियों की पहचान करने और पुख्ता सबूत इकट्ठा करने में सक्षम हैं। इनमें जीपीएस, साउंड मीटर, स्पीड रडार और टिंट मीटर जैसे उपकरण मौजूद हैं। इसके बावजूद हाइवे पर इन वाहनों की तैनाती नहीं होती, जिससे तेज रफ्तार वाहन बेखौफ होकर सड़क पर मौत दौड़ा रहे हैं।