कल्याणपुर की राजनीतिक जंग: महेश्वर हजारी की ‘हैट्रिक’ की चुनौती, जन सुराज और माले ने बनाई त्रिकोणीय रणभूमि
Bihar News: समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी जंग बेहद दिलचस्प हो गई है। यहां जदयू के कद्दावर नेता और राज्य सरकार में सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी अपनी लगातार तीसरी जीत दर्ज कर हैट्रिक बनाने की कोशिश में हैं। वहीं, भाकपा माले के रंजीत राम और जन सुराज के रामबालक पासवान इस जंग को त्रिकोणीय बनाने में जुट गए हैं। इस क्षेत्र में यह अनोखा मिथक है कि अब तक कोई भी उम्मीदवार लगातार दो बार नहीं जीत पाया है — और यही हजारी की सबसे बड़ी परीक्षा है।
कल्याणपुर की भौगोलिक और राजनीतिक संरचना
राजनीतिक मिथक को तोड़ने की कोशिश
इस क्षेत्र में अब तक किसी भी नेता को लगातार दो बार जीतने का गौरव नहीं मिला है। हालांकि कुछ चेहरे बार-बार जीतकर विधायक बने जरूर, मगर लगातार नहीं। अब महेश्वर हजारी यह मिथक तोड़ने की कोशिश में हैं। 2010 से लेकर अब तक जदयू ने इस सीट पर लगातार कब्जा बनाए रखा है, लेकिन हर बार चेहरा अलग रहा।
जनता की राय में बंटा है मूड
भट्टी चौक के रमेश व्यास बताते हैं कि “इस बार जनता आर-पार के मूड में है, पर कौन किस पार है, यह अब भी राज है।” वहीं कुशियारी चौक के दिनेश पासवान कहते हैं, “हमारे यहां तो कोई लड़ाई ही नहीं, सबको अपनी जीत पक्की लग रही है। इस बार मतदाता पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। मैदान के चेहरे तय हो चुके हैं लेकिन जनता की जुबान अब भी बंद है।
चुनावी रणनीतियों का ताना-बाना
महेश्वर हजारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकास योजनाओं और अपने कार्यकाल में हुए स्थानीय विकास को अपना सबसे बड़ा हथियार मान रहे हैं। दूसरी ओर, माले प्रत्याशी रंजीत राम महागठबंधन की ताकत और पार्टी के कार्यकर्ताओं के जनसंपर्क पर भरोसा कर रहे हैं। वहीं, जन सुराज के रामबालक पासवान सवर्ण और युवा मतदाताओं को साधने में लगे हैं और अपने स्थानीय कार्यों को प्रचार का केंद्र बना रहे हैं।
पिछली बार का चुनावी गणित
- महेश्वर हजारी (JDU) — 72,279 वोट
- रंजीत राम (CPI-ML) — 62,028 वोट
- सुंदेश्वर राम (LJP) — 23,163 वोट
मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताएं
कल्याणपुर में भूमिहार और कुशवाहा समुदाय का वर्चस्व है। इनके अलावा यादव, मल्लाह, पासवान और पचपोनिया मतों की भी बड़ी संख्या है। कुर्मी और राजपूत मतदाता भी संतुलन बनाने में भूमिका निभा सकते हैं। महागठबंधन के समर्थक पूसा बाजार के अमित कुमार का कहना है, “इस बार जनता जाति नहीं, विकास और घोषणा पत्र के आधार पर वोट देगी।”
राजनीतिक संयोग और किस्मत का खेल
कल्याणपुर की राजनीति में एक और दिलचस्प संयोग है - यहां से पराजित उम्मीदवार बाद में संसद तक पहुंचे। आलोक कुमार मेहता 2000 में कल्याणपुर से हारे, पर 2005 में समस्तीपुर से सांसद बने। प्रिंस राज 2015 में यहां से हारे, लेकिन 2019 में समस्तीपुर से सांसद निर्वाचित हुए। अश्वमेघ देवी उपचुनाव में हारीं, फिर उजियारपुर से पहली सांसद बनीं।
अंतिम समीकरण
कल्याणपुर की जनता हर बार नई पटकथा लिखती है। इस बार मुकाबला साफ तौर पर जदयू बनाम माले बनाम जन सुराज के बीच सिमटता दिख रहा है। महेश्वर हजारी अपनी विकास यात्रा को हकीकत में बदलने की कोशिश में हैं, जबकि रंजीत राम वर्गीय एकजुटता पर भरोसा कर रहे हैं। जन सुराज के रामबालक पासवान सियासी संतुलन बिगाड़ने वाले “थर्ड फ्रंट” की भूमिका में हैं। अब देखना है कि क्या कल्याणपुर की जनता इस बार इतिहास दोहराएगी या उसे बदल देगी।
