सत्य, क्षमा और सरलता अपनाएं: जीवन में शांति का संदेश
मनुष्य का जीवन तभी सुंदर बनता है जब वह अपने स्वभाव और व्यवहार में सत्य, दान, कर्मठता, क्षमा और अनसूया (परनिंदा से बचना) जैसे महान गुणों को अपनाता है।
दूसरों के गुणों की प्रशंसा करना और उन्हीं गुणों को स्वयं में उतारने का प्रयास करना ही सच्ची साधना है।
यही सद्गुण मानव की महान शक्तियों के वास्तविक स्रोत हैं।
क्षमा – आत्मा का सर्वोच्च अलंकार
जो व्यक्ति क्षमा को अपनाता है, उसके व्यक्तित्व में दिव्यता और आकर्षण स्वयं प्रकट हो जाती है।
क्षमा से बढ़कर कोई विजय नहीं, और विनम्रता से बड़ा कोई बल नहीं।
बनावटी जीवन से दूर रहें
दिखावा और बनावटीपन जीवन में अशांति का कारण बनते हैं।
जितना जीवन कृत्रिम होगा, उतना मन अशांत होगा।
सीधे, सच्चे और सरल होकर चलने से मनुष्य को सच्ची शांति प्राप्त होती है।
आवश्यकताओं को सीमित करें
आवश्यकताओं का जितना विस्तार किया जाएगा, जीवन उतना जटिल होता जाएगा।
आवश्यकताओं को सीमित कर दीजिए—जीत अपने आप मिल जाएगी।
जो व्यक्ति अपनी कामनाओं पर नियंत्रण कर लेता है, वही सच्ची उन्नति कर पाता है।
अहंकार को विनम्रता से जीतें
अभिमान वृद्धि को रोकता है, जबकि विनम्रता सफलता का द्वार खोलती है।
जहाँ विनम्रता है, वहाँ भगवान स्वयं साथ चलते हैं।
ईर्ष्या–द्वेष से दूर रहें
ईर्ष्या और द्वेष मनुष्य की दृष्टि को दूषित कर देते हैं।
जब मन ईर्ष्या से मुक्त होता है, तो हर व्यक्ति अच्छा दिखता है, हर व्यक्ति अपना लगता है।
दूसरों के प्रति सद्भाव हर रिश्ते को मजबूत बनाता है।
जीवन का सार
विचारिए—
न कोई पराया है, न किसी से बैर रखने की आवश्यकता है।
हमें स्वयं प्रसन्न रहना है, और दूसरों को भी प्रसन्न रखना है।
यही सच्चा भक्ति मार्ग है।
