हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

जिस संवतसर के आधार पर हमारा लोक जीवन चलता है और सारे पारम्पारिक पर्व मनाये जाते हैं वही हमारा अपना संवतसर है अर्थात विक्रम संवतसर, इसके साथ ही हमारा नववर्ष आरम्भ होता है, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है। विक्रम संवतसर से हमारा केवल बाहरी ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जुड़ाव भी है। जैन, बौद्ध तथा […]
जिस संवतसर के आधार पर हमारा लोक जीवन चलता है और सारे पारम्पारिक पर्व मनाये जाते हैं वही हमारा अपना संवतसर है अर्थात विक्रम संवतसर, इसके साथ ही हमारा नववर्ष आरम्भ होता है, जो इसकी महत्ता को दर्शाता है। विक्रम संवतसर से हमारा केवल बाहरी ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जुड़ाव भी है।
बाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीराम के धरती पर अवतरित होते समय ऐसा मौसम था जिसे न तो सर्दी कहा जा सकता है और न ही गर्मी। श्रीराम का अवतार काल बंसत ऋतु की पवित्रता से गुथे चैत्र मास में है।
अब यदि हमारी कालगणना गड़बड़ाने लगती तो श्रीराम का जन्मदिन कभी गर्मी में और कभी सर्दी में मनाना पड़ता, परन्तु आज तक भी ऐसा नहीं हुआ। आज भी होली और दीवाली के त्यौहार उसी समय मनाये जाते हैं, जब फसलें पकने को तैयार होती हैं।
यदि ऐसा न होता तो पर्वों का मूल स्वरूप ही नष्ट हो जाता। पर्वों की सुदीर्घ परम्परा में काल निर्धारण का जो निश्चय है, उसके भीतर छिपी है ऋषियों की अद्भुत गणितीय दृष्टि। नये संवतसर के पुनीत अवसर पर सभी भारतवासियों को शुभकामनाएं।
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