भगवान के प्रति श्रद्धा और धन्यवाद का महत्व
जब संसार में कोई व्यक्ति आपका साथ नहीं देता, तब भी कोई अज्ञात शक्ति आपकी मदद करती है और आपकी नैया को पार लगाती है। यही शक्ति आपके जीवन में सहारा बनती है। इसलिए उस शक्ति पर विश्वास करना और उसका सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है।
भगवान की स्तुति, उपासना और धन्यवाद करने में हमारी सभ्यता और संस्कार झलकते हैं। किसी अभाव या कठिनाई के लिए भगवान को दोष देना या निंदा करना हमारे लिए कोई लाभकारी नहीं है। परंतु, बार-बार श्रद्धा भाव से प्रभु का स्मरण करने से हमारे अन्तःकरण में निर्मलता आती है।
जब अन्तःकरण शुद्ध होता है, तब हम भगवान की वास्तविक अनुभूति करने लगते हैं। इसी अनुभव के माध्यम से मनुष्य धीरे-धीरे भगवान के निकट पहुँचता है और निरंतर साधना से वह साक्षात्कार की स्थिति तक पहुँच सकता है।
अगर चाहो तो मैं इसे और संक्षिप्त और प्रेरणादायक रूप में सोशल मीडिया या दैनिक पाठ के लिए भी तैयार कर सकता हूँ, ताकि पढ़कर लोग तुरंत समझ जाएँ और अपने जीवन में अपनाएँ।
