-नीतू गुप्ता
प्राणायाम में अनुलोम-विलोम प्राणायाम शरीर और दिमाग की शुद्धि करने का सबसे अच्छा योग है। हर आयु के लोग इस
प्राणायाम को कर सकते हैं पर इसको करने से पहले किसी विशेषज्ञ से या योगाचार्य से इसका सही प्रशिक्षण लें फिर
अभ्यास जारी रखें। गलत प्राणायाम नुकसान पहुंचा सकता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम में सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को दोहराया जाता है जिसे नाड़ीशोधक भी कहा जाता है।
इस प्राणायाम के करने से नर्वस सिस्टम सुचारू रूप से चलता है और दिमाग की मसाज भी हो जाती है जिससे हमारा
नर्वस सिस्टम मजबूत होता है और हम तनावरहित महसूस करते हैं।
दूसरा बड़ा लाभ इसे नियमित करने से फेफड़े शक्तिशाली बनते हैं। दिल मजबूत होता है और पूरे शरीर में रक्त और
आक्सीजन का बहाव ठीक रहता है। रक्त और आक्सीजन के ठीक बहाव से त्वचा चमकदार बनती है और हमारी पाचन
क्रिया स्वस्थ रहती है।
प्राणायाम करने का उचित समय:-
कोई भी प्राणायाम करने का उचित समय प्रातःकाल मंे होता है जब पेट खाली हो और मन शांत हो। कोई विघ्न न हो तो
प्राणायाम करने का लाभ पूरा मिलता है। साफ सुथरी जगह पर योगा मेट, दरी बिछाकर आरामदायक स्थिति में बैंठे।
कमर,गर्दन सीधी रखें। अगर पदमासन लगा कसते हैं तो लगाएं, अर्द्धपदमासन ,सुखासन या वज्रासन में बैठें। जमीन पर
बैठना मुश्किल हो तो लकड़ी की कुर्सी पर पीठ सीधी कर बैंठे।
प्राणायाम करने की विधि:-
- आंखें बंद कर लें। बाई हथेली को बाएं घुटने पर रखें। दाईं हथेली से ज्ञानमुद्रा बनाएं। सबसे पहले पेट से सांस को बाहर
निकालें। पेट खाली कर दाएं अंगूठे को दाईं नासिका पर रखें, थोड़़ा दबाव देें। तर्जनी और मध्यमा उंगली को भौंहों के मध्य
में रखें। बाई ओर से सांस खींचे फिर बाई नासिका को अनामिका से बंद कर धीरे धीरे सांस छोड़ें। इसी प्रक्रिया को बाई
ओर से दोहराएं। इस प्रकार यह एक बार का चक्र पूरा हुआ। इसी प्रकार चक्र दोहराएं। शुरूआत में 5 बार इस क्रिया को
दोहराएं। फिर दोनों हथेलियां दोनों घुटनों पर रखकर आंखें बंद किए हुए थोड़ा आराम करें।
इस प्रकार आप इस क्रिया को धीरे धीरे बढ़ाएं 5 मिनट से प्रारंभ कर 15-20 मिनट तक ले जाएं। ध्यान दें सांस लेने और
छोड़ने के बीच कुछ अंतराल रखें। शुरूआत में सुविधानुसार करें धीरे- धीरे अभ्यास को बढ़ाना है। सांस लेने और छोड़ते
समय सांसों पर ध्यान बनाए रखें। आप चाहें तो सांस भरें और दूसरी ओर से सांस छोड़ें। सांसों का लेना छोड़ना
सुविधाजनक होना चाहिए। जोर न लगाएं। सांस भरते और छोड़़ते समय जोर लगाने पर सिर भारी हो सकता है।
जब भी कोई भी प्राणायाम करें अंत में आंखें बंद कर अपनी सांसों को आते जाते देखें। धीरे-धीरे आंखें खोलें। (स्वास्थ्य
दर्पण)