क्यों उठती है मुंह में दुर्गन्ध ?

-आनंद कुमार अनंत
यह आपको एक शोचनीय और असमंजस की स्थिति में भी पहुंचा देता है। लोगों के व्यवहार से आपको शर्म आती है और
अपने ऊपर क्रोध भी आता है। कई बार तो हताश हो कर आप एकाकी जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं।
मुंह से बदबू आना अपने आप में कोई स्वतंत्र बीमारी नहीं है। इसके लिए बहुधा खान-पान की आदतें, व्यसन और
व्यक्तिगत साफ-सफाई में लापरवाही ही जवाबदेह हुआ करती हैं। आइये, उन कारणों को जानने का प्रयास करते हैं जिसके
कारण सांस में बदबू पैदा हो जाया करती है।
खान-पानः-
कुछ सब्जियां और फल ऐसे होते हैं जिनके सेवन से सांस से अजीब-सी गंध निकालने लगती है। यह गंध भले ही बदबूदार
न हो परन्तु अरूचिकर अवश्य प्रतीत होती है। प्याज, लहसुन, मूली आदि के सेवन के पश्चात् मुंह से उनकी गंध काफी देर
तक निकलती रहती है। अन्य वस्तुओं के साथ इनको खाने से इनकी गंध की उग्रता कम हो जाती है। भोजन के अंत में
इन्हें अकेले खाने से इनकी गंध अधिक देर तक सांसों में बनी रहती है।
मुख संबंधी बीमारियां-
अगर मुख के अंदर दरार या छाले हों जिनमें बैक्टीरिया और वायरस जमे रह सकते हों तो वे बदबू पैदा कर सकते हैं। इसी
तरह जीभ पर बैठी मैल की गंदगी की परत से भी दुर्गन्ध उठ सकती है। फफूंद का संक्रमण जो अधिकतर बच्चों में या
किसी जीर्णरोग से पीडि़त मरीज के मुंह में हो जाता है, बदबू पैदा कर सकता है।
मुंह का कैंसर अक्सर सांस में बदबू उपस्थित कर देता है। इसी तरह अप्राकृतिक यौन संबंधों के कारण भी मुंह में दुर्गन्ध
पैदा हो जाती है। टांसिल की सूजन, पायरिया, गले में दर्द, बुखार, ग्रास नली या स्वर यंत्रा के कैंसर से भी मुंह के अंदर से
बदबू आने लगती है।
पेट संबंधी बीमारियां-
उदर का कर्क रोग, यकृत विकार, अपेन्डिक्स की सूजन, आंत या उदर के संक्रमण, विषम ज्वर अथवा टाइफाइड के कारण
भी सांस की बदबू आनी प्रारंभ हो जाती है। गर्भाशय शोथ, गर्भ विकार, अनियमित ऋतुस्राव, ल्यूकोरिया आदि कारणों से
उपजी उदर की व्याधियों के कारण भी मुंह से बदबू आती रहती है।
दांत संबंधी विकारः-
अत्यधिक व्यस्तता के कारण जब दांतों की सफाई के प्रति लापरवाही कर दी जाती है तो मुंह की अनेक बीमारियां उत्पन्न
हो जाती हैं। गर्म, ठंडी, खट्टी-मीठी, चिपचिपी, चरपरी आदि अनेक प्रकार को वस्तुओं को हम नित्यप्रति खाते रहते हैं। यूं
तो दांत शरीर के सबसे मजबूत हिस्सों में से आते हैं परन्तु अनियमितताओं के कारण उनका भी धैर्य समाप्त हो जाता है
और उन पर या तो भूरे रंग की परतें जमा हो जाती हैं या फिर उन पर अनेक जीवाणु जमकर बदबू पैदा कर देते हैं। इन
परतों को ‘टारटर‘ कहा जाता है।
हमारी खान पान की गंदी आदतों के कारण ही दंतक्षय होने लगता है जिसे ‘केरीज‘ या ‘केविटी‘ या कीड़ा लगना कहा जाता
है। इसमें दांतों के मध्य छेद बन जाता है जिसमें अन्नकण या अन्य दूषित पदार्थ जमा होने लग जाते हैं। इनके सड़ने की
प्रक्रिया दुर्गन्ध के रूप में परिलक्षित होने लगती है।
मसूड़ों की बीमारियां भी सांसों में बदबू पैदा कर सकती हैं। विटामिनों और अन्य पोषक पदार्थों की कमी मसूड़ों को कमजोर
बना देती है जिससे वे आसानी से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। दांत साफ करते वक्त या कोई कड़ी या नुकीली वस्तु (पदार्थ)
खाते वक्त इनसे खून रिसने लगता है।
चोटिल मसूड़ों पर बैक्टीरिया और वायरसों का हमला होते देर नहीं लगती और खून के बदले उनमें से दुर्गन्धयुक्त स्राव
बहने लगता है जिसे ‘पायरिया‘ कहा जाता है। इस स्थिति में मुंह से बेतहाशा दुर्गन्ध आने लगती है।
फेफड़ों एवं श्वसन तंत्रिका के रोगः-
फेफड़ों का क्षय रोग, फेफड़ों का कैंसर, श्वसन नलिका की सूजन, संक्रमण, फेफड़ों में मवाद आदि के कारण भी सांसों में
दुर्गन्ध आने लगती है। नासिका संबंधी बीमारियां, सायनस का संक्रमण, लार ग्रंथि का संक्रमण, टांसिल के क्षेत्रा में मवाद
की उत्पत्ति भी बदबू को जन्म देती है।
आदत एवं व्यसनः-
धूम्रपान, मद्यपान, तम्बाकू, खैनी चबाना, पान मसालों के सेवन आदि से भी सांसों में बदबू आनी शुरू हो जाती है।
धूम्रपान का धुआं फेफड़ों में पहुंचकर उनको कमजोर कर देता है जिससे अनेक संक्रामक बीमारियां पैदा हो जाती हैं।
शराब में अनेक रसायनों का योग होता है जिससे उसमें प्रारंभ से ही बदबू रहती है। मुंह से निकली शराब की गंध इतनी
तीव्र होती है कि आसपास बैठे व्यक्ति भी उससे प्रभावित हो उठते हैं। तम्बाकू एवं पान-मसालों से निकले विषाक्त पदार्थ
दांतों एवं मसूड़ों और मुंह की दरारों में जमा हो जाते हैं और उनमें सड़न पैदा कर देते हैं।
अन्य कारणः-
शरीर में जल की कमी यानी डीहाइडेªशन, मधुमेह, क्षय-रोग आदि की कुछ दवाइयां भी सांस में दुर्गन्ध उत्पन्न करने में
सहायक होती हैं।
कैसे छुटकारा पायें-
मुख की दुर्गन्ध से छुटकारा पाने के लिए नित्य प्रति मंुह व दांतों की सफाई की ओर ध्यान देना चाहिए। भोजन के बाद
अच्छी तरह से कुल्ला करना चाहिए। नमकयुक्त गुनगुना पानी या माउथवाशयुक्त जल से सुबह एवं रात्रि में सोते समय
कुल्ला करते रहने से मुंह से बदबू नहीं आती।
रात में सोते समय ब्रश करने के बाद सरसों तेल तथा एक चुटकी नमक या सेंधा नमक मिलाकर दंातों व मसूड़ों में लगा
लेने से दुर्गंध के साथ ही मुंह की अनेक बीमारियों से निजात मिलती है।
मुंह की भीतरी त्वचा सूखी व सख्त रहती हो तो लार उत्पन्न करने वाली पीपरमेन्ट की गोलियां चूसने से भी लाभ होता
है। अगर संक्रमण की वजह से सांसों में बदबू आती हो तो नीम के पत्तों में उबाल कर उस पानी से सुबह-शाम गरारे करना
लाभप्रद होता है। (स्वास्थ्य दर्पण)
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