गन्ना किसानों को केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा: ICAR में बनेगी विशेष रिसर्च टीम

नई दिल्ली। देश के गन्ना उत्पादक किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र सहित पूरे भारत के गन्ना किसानों को केंद्र सरकार की ओर से जल्द ही बड़ा गिफ्ट मिलने वाला है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह घोषणा करते हुए बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में गन्ने की समस्याओं और संभावनाओं पर रिसर्च के लिए एक अलग टीम गठित की जाएगी।
कृषि मंत्री ने मोनोक्रॉपिंग को किसानों की फसल संबंधी समस्याओं का बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि मोनोक्रॉपिंग से भूमि की उर्वरता कम होती है, रोगों का खतरा बढ़ता है और नाइट्रोजन फिक्सेशन भी प्रभावित होता है। इसलिए, अब ICAR की टीम यह अध्ययन करेगी कि इंटरक्रॉपिंग (मिश्रित खेती) को कैसे व्यावहारिक रूप से अपनाया जा सकता है।
गन्ना किसानों को चीनी मिलों से समय पर भुगतान न मिलना एक पुरानी समस्या रही है। कृषि मंत्री ने स्वीकार किया कि यह समस्या व्यावहारिक है और किसानों की नाराजगी भी जायज़ है। उन्होंने कहा कि मिलों की अपनी चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन किसानों को समय पर गन्ने का भुगतान मिलना चाहिए। सरकार इस दिशा में भी ठोस व्यवस्था बनाएगी।
चौहान ने कहा कि अब समय आ गया है कि गन्ना उत्पादन में मैकेनाइजेशन यानी मशीन आधारित कृषि को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए ICAR के मैकेनाइजेशन डिवीजन को गन्ना कटाई के लिए ऐसे उपकरण विकसित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी जिससे कम मेहनत में बेहतर उत्पादन संभव हो सके।
सरकार गन्ना उत्पादन से जुड़ी वैल्यू चेन को मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाएगी। उन्होंने बताया कि गन्ने से केवल चीनी या एथेनॉल ही नहीं, बल्कि अन्य बायो प्रोडक्ट जैसे मोलासेस और प्राकृतिक खाद भी तैयार किए जा सकते हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिल सके।
कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि प्राकृतिक खेती पर भी गंभीरता से विचार होना चाहिए ताकि रासायनिक खादों पर निर्भरता घटे और उत्पादन लागत कम की जा सके।
गन्ना किसानों को अक्सर मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ट्रेनिंग और कैपेसिटी बिल्डिंग की दिशा में कदम उठाने की तैयारी कर रही है ताकि गन्ने की कटाई और अन्य कार्यों के लिए स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सके।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ICAR की यह नई रिसर्च टीम पूरी तरह से किसान और उद्योग की जरूरतों के अनुरूप काम करेगी। उन्होंने दो टूक कहा "जिस रिसर्च से किसान को लाभ नहीं, वह रिसर्च बेमानी है। हमें जमीनी समस्याओं को समझकर, वैज्ञानिक समाधान देने होंगे।"