मथुरा में अनोखी परंपरा: रावण की पूजा, 25 सालों से निभाई जा रही श्रद्धा
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मथुरा। मथुरा से चौंकाने वाली लेकिन रोचक खबर सामने आई है। जहां पूरे देश में विजयदशमी पर रावण के पुतले को जलाकर असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है, वहीं मथुरा में ठीक इसका उल्टा नज़ारा देखने को मिला। यमुना पुल के पास स्थित शिव मंदिर परिसर में रावण की पूजा विधि-विधान के साथ की गई।
बताया जा रहा है कि यह परंपरा मथुरा में पिछले 25 वर्षों से निभाई जा रही है। ""लंकेश भक्त मंडल सारस्वत समाज"" इस अनोखी रस्म को हर साल दशहरे के दिन आयोजित करता है। यहां श्रद्धालु रावण को विद्वत्ता, पराक्रम और भक्ति का प्रतीक मानकर उनकी मूर्ति की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।
पुतला दहन का विरोध करते हुए इस मंडल के सदस्य कहते हैं कि रावण केवल खलनायक नहीं थे, बल्कि एक महान पंडित, शिवभक्त और वेदों के ज्ञाता भी थे। यही कारण है कि दशहरे की रात यहां आग से दहन नहीं होता, बल्कि श्रद्धा से रावण की पूजा-अर्चना की जाती है।
यह अनोखी परंपरा देशभर से आए श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच रही है और यह संदेश देती है कि इतिहास और मिथकों को केवल एक नज़रिये से नहीं देखा जा सकता।