बागपत में ग्राम पंचायतों में शुरू हुआ “बर्तन बैंक”, ग्रामीणों के सामाजिक आयोजनों में सुविधा और पर्यावरण संरक्षण का नया कदम
                 
              
                बागपत। ग्रामीणों की आवश्यकता के दृष्टिगत एक अनोखी और प्रेरणादायक पहल की शुरुआत हो रही है। ग्राम पंचायतों में “बर्तन बैंक” स्थापित किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य सामुदायिक आयोजनों में प्लास्टिक और पत्तल‑दोने के उपयोग को कम करना और गांव के लोगों को शादी‑विवाह, जन्मदिन एवं अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में सुविधा प्रदान करना है। अब किसी ग्रामीण को अपने सामुदायिक, सामाजिक अथवा निजी कार्यक्रमों के लिए बर्तन खरीदने या किराए पर लेने की चिंता नहीं रहेगी क्योंकि ग्राम पंचायत का बर्तन बैंक उन्हें कम शुल्क पर यह उपलब्ध कराएगा।
इस बर्तन बैंक को ग्राम पंचायत खुद संचालित करेगी। बाजार शुल्क के आधे मूल्य पर बर्तन उपलब्ध होंगे, जिसमें खाना पकाने से लेकर परोसने तक के सभी बर्तन शामिल हैं। यह पहल प्रत्येक विकास खंड में लागू की जा रही है और इसके लिए प्रत्येक ब्लॉक से गांवों का चयन किया गया है। बागपत में ग्वालीखेड़ा, बड़ौत में मलकपुर, बिनौली में दाहा और निरपुडा, खेकड़ा में काठा, छपरौली में रमाला और पिलाना गांव को इस योजना में शामिल किया गया है।
जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने ग्वालीखेड़ा में इस सामाजिक और पर्यावरणीय पहल का शुभारंभ किया। इस पहल से न केवल ग्रामीणों को राहत मिलेगी, बल्कि ग्राम पंचायत की आय भी सृजित होगी। साथ ही, यह कदम स्थानीय पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को भी बढ़ावा देगा। यह बर्तन बैंक जिम्मेदारी का प्रतीक बनेगा और यह संदेश देगा कि सुविधा के बजाय जिम्मेदारी चुने।
आमतौर पर कार्यक्रमों में प्लास्टिक का प्रयोग इसलिए ज्यादा होता है क्योंकि उसमें खाना खाने के बाद उसे फेंकना आसान होता है जबकि प्लास्टिक में खाने के कई नुकसान है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सबसे जरूरी है जिम्मेदारी का भाव। जब हम प्लास्टिक के बजाय बर्तन बैंक से बर्तन किराए पर लेंगे तो इससे जो ग्राम पंचायत को पैसा जाएगा वह हमारे गांव को बेहतर बनाने में ही खर्च होगा।
बर्तन बैंक में थाली, ग्लास, चम्मच, जग, परात (स्टील एवं सिल्वर), भगौने, बाल्टी, कुकर, सिल्वर टब और कलचे, पोनी, पलटे आदि शामिल हैं। इसे ग्राम पंचायत घर में स्थापित किया जाएगा, जहां से ग्रामीण आवश्यकतानुसार सामूहिक या निजी आयोजनों के लिए बर्तन ले सकेंगे। यह पहल न केवल खर्च कम करेगी बल्कि समाज में सहयोग और साझा उपयोग की भावना को भी मजबूत करेगी।
पायलट चरण में प्रत्येक विकास खंड की पंचायतों का चयन कर बर्तनों की आवश्यकता का सर्वेक्षण किया गया है। भंडारण स्थल और रिकॉर्ड प्रणाली भी तैयार की गई है। लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जिलाधिकारी स्वयं इस अभियान का उद्घाटन करेंगी।
बर्तन बैंक की व्यवस्था में समय-समय पर प्रतिक्रिया के आधार पर सुधार किए जाएंगे। सफल पंचायतों के अनुभवों के आधार पर इसे अन्य गांवों और कस्बों में भी लागू करने की योजना है। इस पहल के मुख्य उद्देश्य —प्लास्टिक और पेपर बर्तनों के उपयोग में कमी लाना, कचरे में कमी करना, ग्रामीणों में सहयोग और आत्मनिर्भरता की भावना का विकास करना और व्यक्तिगत आयोजनों में अतिरिक्त बर्तन खरीदने का खर्च घटाना।
भविष्य में आवश्यकतानुसार बर्तन बैंक में अन्य उपयोगी वस्तुएं भी जोड़ी जा सकेंगी। इसके संचालन और प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए निगरानी और मूल्यांकन की रूपरेखा बनाई जाएगी।
