ऐतिहासिक तिगरी मेले में बुला रही हैं मां गंगा, महाभारत काल के दौरान पांडवों से जुड़ा है स्थान
मां गंगा की गोद में बसा तिगरीधाम, जिसकी पवित्रता का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा है, इस बार भी आस्था का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। ऐसा स्थल जहां पांडवों ने विश्राम किया और श्रवण कुमार ने अपना पहला बसेरा रखा।
मेले की रौनक और व्यवस्थाएं
तिगरीधाम में मेले की रौनक देखने लायक है। साधु-संतों की तंबू नगरी अलग बसी है, और श्रद्धालुओं के लिए टेंट सिटी बनाई गई है। रात में जब हजारों दीप गंगा में उतरते हैं, तो पूरा तिगरीधाम सुनहरी आभा से नहा उठता है।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष इंतज़ाम किए हैं। 21 घाट तैयार किए गए हैं, हर घाट पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है, और महिला श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। मुख्य सड़क 60 फीट चौड़ी रखी गई है, ताकि भक्त बिना जाम के आराम से पहुंच सकें। आपात स्थिति के लिए गजरौला और कांकाठेर मार्ग को खाली रखा गया है।
श्रद्धा और उल्लास का संगम
लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं—कोई स्नान के लिए, कोई पिंडदान के लिए, तो कोई अपने पूर्वजों के मोक्ष की कामना लेकर। तिगरीधाम में आस्था का ऐसा सैलाब देखने को मिलता है कि मां गंगा भी मुस्कुरा उठती हैं। यहां आने वाला हर यात्री अपने भीतर नई शांति और विश्वास लेकर लौटता है।
और इस पावन स्थल पर आज भी वही पुरानी पुकार गूंजती है—हर हर गंगे! जय मां गंगे!
