मेरठ के कॉलेज में दीपावली मेले में बुर्का विवाद: मुस्लिम युवतियों को सुरक्षा कारणों से रोकने पर भड़का हंगामा



'सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन'
युवतियों ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमने इस प्रदर्शनी के लिए इतने दिनों से तैयारी की थी, जो अब बेकार हो गई। हम इस कॉलेज की छात्राएं नहीं हैं, यह स्पष्ट रूप से धार्मिक भेदभाव है।" युवतियों ने दावा किया कि उन्होंने कॉलेज प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया निर्देश के बारे में भी बताया, जिसमें कहा गया था कि छात्र-छात्राओं को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के तहत धार्मिक परिधान पहनने का अधिकार है। यह टिप्पणी हाल ही में मुंबई के कुछ कॉलेजों में हिजाब, नकाब और कैप पर लगी रोक के बाद आई थी। युवतियों के माता-पिता भी कॉलेज पहुंचे, लेकिन उनकी बात भी अनसुनी कर दी गई।
कॉलेज प्रशासन का रुख: 'यह आंतरिक सुरक्षा नियम है'
वहीं, कॉलेज प्रशासन ने धार्मिक भेदभाव के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। कॉलेज की चीफ प्रॉक्टर दीप्ति कौशिक ने स्पष्ट किया कि युवतियों को किसी धार्मिक कारणों से नहीं, बल्कि सुरक्षा कारणों से रोका गया था। उन्होंने कहा, "कॉलेज परिसर में किसी को भी बुर्का पहनकर प्रवेश की अनुमति नहीं है। यह कॉलेज का आंतरिक सुरक्षा नियम है और सुरक्षा के लिहाज से हर किसी को इसका पालन करना अनिवार्य है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह नियम कॉलेज के सभी लोगों पर समान रूप से लागू होता है।