वक्फ संशोधन अधिनियम 2025: मेरठ में मुस्लिम समुदाय की धरोहरों की रक्षा की ओर ऐतिहासिक पहल

मेरठ। वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर बैठकों का दौर जारी है। बैठकों के माध्यम से वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के बारे में मुस्लिम समाज के लोगों को इसके लाभ के बारे में जानकारी दी जा रही है। इस बारे में हापुड़ रोड स्थित एक मदरसा में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें वक्फ से जुड़े मुस्लिम समाज के लोगों ने भाग लिया। इस दौरान दिल्ली से आई शैक्षिक कार्यकर्ता सुमैरा रहमान ने वक्फ को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।
सुमैरा ने कहा कि भारत में वक्फ संपत्तियां मुस्लिम समुदाय की धरोहर हैं। जो सदियों से धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए समर्पित रही हैं। ये संपत्तियां न केवल पूजा-पाठ और मदरसों के लिए उपयोगी है, बल्कि गरीबों, विधवाओं और अनाधों की मदद के लिए भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों में इन संपत्तियों के प्रबंधन में भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और अतिक्रमण की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे समुदाय को नुकसान पहुंचा है।
इसी पृष्ठभूमि में, वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 एक सकारात्मक बदलाव के रूप में सामने आया है। यह अधिनियम वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार को रोकने और संपत्तियों की रक्षा करने के लिए आवश्यक सुधार लेकर आया है। इस लेख में हम इस अधिनियम की आवश्यकता, इसके प्रमुख प्रावधानों, भ्रष्टाचार के उदाहरणों और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के 15 सितंबर 2025 के फैसले पर चर्चा करेंगे, जो इसकी वैधता को और मजबूत करता है।
वक्फ से जुड़े डॉक्टर राशिद अली ने बताया कि वक्फ संपत्तियों का इतिहास भारत में गहरा है। अनुमानित रूप से, देश में लगभग 8 लाख एकड़ से अधिक वक्फ भूमि है, जिनकी कीमत हजारों करोड़ रुपये है। ये संपत्तियां मुस्लिम समुदाय की आर्थिक मजबूती का आधार हैं, लेकिन दुर्भाग्य से, इनके प्रबंधन में व्याप्त अनियमितताओं ने इन्हें खतरे में डाल दिया है। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि पुराने वक्फ अधिनियम 1995 में कई कमियां थीं, जैसे अपर्याप्त निगरानी, अस्पष्ट पंजीकरण प्रक्रिया और बोर्डों में राजनीतिक हस्तक्षेप। परिणामस्वरूप, वक्फ संपत्तियां अतिक्रमण का शिकार हो रही हैं, और आय का दुरुपयोग हो रहा है।
उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में राज्य वक्फ बोर्ड पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोप लगे हैं, जहां संपत्तियों को अवैध रूप से बेचा या पट्टे पर दिया गया। इसी तरह, कर्नाटक वक्फ घोटाले 2021 में भ्रष्टाचार, जालसाजी और धन के गबन के मामले सामने आए, जहां बोर्ड के अधिकारियों ने लाखों एकड़ भूमि को गलत तरीके से हस्तांतरित किया। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि बिना सुधार के, वक्फ संपत्तियां समुदाय के बजाय कुछ व्यक्तियों की जेब भरने का माध्यम बन रही हैं। भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कई उदाहरण हैं जो इस अधिनियम की जरूरत को रेखांकित करते हैं।
मध्य प्रदेश में सरकारी अतिक्रमण का पैटर्न देखा गया है, जहां वक्फ भूमि को जानबूझकर कब्जा किया गया और प्रबंधन में भ्रष्टाचार हुआ। विभिन्न राज्यों में वक्फ बोर्डों पर रिश्वतखोरी, आयकर की चोरी और अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। जून 2024 में, एक मामले में बोर्ड के अधिकारियों पर आयकर की हेराफेरी का आरोप लगा। 1932 के ब्रिटिश कालीन रिपोर्ट में भी वक्फ प्रबंधन में दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और उपेक्षा का खुलासा हुआ था, जो आज भी प्रासंगिक है।
अधिवक्ता इरफान सैफी ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 इन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। इसके प्रमुख प्रावधानों में वक्फ संपत्तियों की पुनर्परिभाषा शामिल है, जो स्पष्टता और सुरक्षा प्रदान करती है। अधिनियम केंद्र सरकार को पंजीकरण, ऑडिटिंग और लेखा-जोखा के नियम बनाने का अधिकार देता है, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। सर्वेक्षण और पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार से अतिक्रमण रोका जा सकेगा। सरकारी निगरानी को मजबूत किया गया है, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट स्तर पर निरीक्षण शामिल है।
महत्वपूर्ण रूप से, यह अधिनियम महिलाओं और बच्चों के उत्तराधिकार अधिकारों की रक्षा करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई संपत्ति वक्फ घोषित न हो जब तक महिलाओं और बच्चों के अधिकार सुरक्षित न हों। डिजिटल रिकॉर्डकीपिंग और सार्वजनिक नोटिस की अनिवार्यता से आम लोग आपत्ति दर्ज करा सकेंगे, जो लोकतांत्रिक है। ये बदलाव न केवल भ्रष्टाचार को कम करेंगे, बल्कि वक्फ संपत्तियों से प्राप्त आय को समुदाय के कल्याण में लगाने में मदद करेंगे, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन में।