बरेली मुरादाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन: सपा के लिए चुनौती, भाजपा और रालोद से सीधी टक्कर

सपा का उम्मीदवार हाजी दानिश अख्तर

भाजपा के संभावित उम्मीदवार डॉ. हरि सिंह ढिल्लो
भाजपा ने अभी आधिकारिक नाम नहीं घोषित किया है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि मौजूदा एमएलसी डॉ. ढिल्लो मैदान में उतर सकते हैं। शिक्षक वर्ग में लंबे समय से सक्रिय और सिख-जाट सिख समुदाय में मजबूत पकड़ रखने वाले डॉ. ढिल्लो का पलड़ा भारी माना जा रहा है।
रालोद का खुला समर्थन
पूर्व में राष्ट्रीय लोकदल ने डॉ. ढिल्लो को एमएलसी बनाया था और इस बार रालोद का भी खुला समर्थन मिलने की संभावना है। इससे भाजपा खेमे को अतिरिक्त लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
सपा ने अभियान शुरू किया
सपा प्रत्याशी हाजी दानिश ने टिकट मिलने के बाद सक्रियता दिखाई है। उन्होंने 12 लोकसभा और 52 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर मतदाता सूची में नाम जोड़वाने का अभियान शुरू किया है। उनका लक्ष्य विशेषकर अल्पसंख्यक संस्थानों के वोटरों को सूची में शामिल करना है।
बरेली-मुरादाबाद शिक्षक निर्वाचन का इतिहास
1972 से 2008 तक यह सीट मुख्य रूप से शर्मा गुट के कब्जे में रही। 2014 में सपा समर्थित संजय मिश्रा ने जीत दर्ज की, लेकिन 2020 में भाजपा ने यह सीट अपने नाम कर ली। पिछली बार कुल 36 हजार मतदाताओं में डॉ. ढिल्लो को 12,827 वोट मिले थे, जबकि सपा प्रत्याशी को केवल 4,864 वोट ही मिले थे।
सपा के लिए प्रमुख मुद्दे और रणनीति
शिक्षक निर्वाचन में व्यक्तिगत छवि, भरोसा और शिक्षा से जुड़े मुद्दों की अहमियत रहती है। सपा ने पुराने पेंशन, वित्तविहीन शिक्षक, मदरसा शिक्षक मानदेय और पदोन्नति जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी है। हाजी दानिश को अब शिक्षक संगठनों और कॉलेज प्रबंधन समितियों के माध्यम से समर्थन जुटाना होगा।
मौजूदा मतदाता आंकड़े और क्षेत्रीय विश्लेषण
बरेली-मुरादाबाद खंड में कुल 36,703 मतदाता थे, जिसमें बरेली में 6,230, बदायूं 3,275, शाहजहांपुर 3,896, रामपुर 2,742, बिजनौर 6,352, मुरादाबाद 5,475, पीलीभीत 1,967, अमरोहा 3,779 और संभल 2,987 मतदाता शामिल हैं।
सपा का मनोबल और रणनीति
सपा संगठन, शिक्षक और कार्यकर्ताओं की एकजुटता के साथ इस बार पूरी ताकत लगाएगी। पार्टी का दावा है कि संगठनात्मक मजबूती, सक्रिय उम्मीदवार और रणनीतिक अभियान से सीट फिर से सपा के पक्ष में जा सकती है।
