गजरौला के कांकाठेर गांव में 1942 से जारी रामलीला, आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में भी होती थी मंचन की परंपरा

Amroha News: गजरौला के हाईवे किनारे स्थित कांकाठेर गांव में स्वतंत्रता से पहले से ही रामलीला का मंचन होता आ रहा है। गांव के लोग ही श्रीराम, लक्ष्मण और रावण के किरदार निभाते हैं। 1942 से चली आ रही इस परंपरा को युवा पीढ़ी दर पीढ़ी निभा रही है। अंग्रेजों के समय यह मंचन सिर्फ दशहरे के दिन ही होता था, लेकिन आज यह एक बड़े और भव्य आयोजन के रूप में तैयार होता है।
गांव के ही लोग निभाते मुख्य किरदार
गांव की पुरानी परंपराओं को जीवित रखने का प्रयास
कांकाठेर गांव में सिर्फ रामलीला ही नहीं बल्कि होली पर बम्ब बजाने की परंपरा और कांवड़ियों के आगमन से पहले सड़कों की साफ-सफाई जैसी प्राचीन परंपराओं को भी जीवित रखा गया है। यही वजह है कि आसपास के गांवों से भी लोग कांकाठेर की रामलीला देखने आते हैं। गांव के बुजुर्गों का मार्गदर्शन और सहयोग आज भी इस आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
पीढ़ियों से निभाई जा रही परंपरा
70 वर्षीय डिगंबर दयाल रामलीला समिति के सदस्य हैं। उनका कहना है कि अंग्रेजों के दौर में महाशी नंबरदार, लालसहाय, खूबचंद्र गुप्ता, गुरुदयाल पंडितजी और अन्य बुजुर्ग किरदार निभाते थे। उनके बाद वर्तमान में गांव के युवा इन किरदारों को निभा रहे हैं। यह पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा गांव की सांस्कृतिक विरासत और गौरव को बनाए रखती है।