संभल में ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड का बड़ा खुलासा! मजदूरों के खातों से करोड़ों का हवाला, पांच आरोपी सलाखों के पीछे

Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में ऑनलाइन गेमिंग और हवाला से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने गरीब मजदूरों और साधारण लोगों के बैंक खातों का गलत इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। ‘जंबो गेमिंग 365’ नामक […]
Sambhal News: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में ऑनलाइन गेमिंग और हवाला से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने गरीब मजदूरों और साधारण लोगों के बैंक खातों का गलत इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। ‘जंबो गेमिंग 365’ नामक वेबसाइट के जरिए यह नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय था।
मजदूरों के खातों में करोड़ों की एंट्री
जांच में निकली सच्चाई
जांच के दौरान सामने आया कि गिरोह का मास्टरमाइंड ऋषिपाल नाम का व्यक्ति है, जो पहले पीएनबी बैंक में काम करता था और बाद में रिकवरी एजेंट बन गया। उसने स्थानीय गरीब लोगों को 10,000 रुपये का लोन दिलाने का लालच दिया और बदले में उनके पासबुक, एटीएम कार्ड, आधार-पैन कार्ड और अन्य अहम दस्तावेज जुटा लिए। इन्हीं दस्तावेजों के जरिए मजदूरों के बैंक खातों को हवाला और ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए इस्तेमाल किया गया।
कैसे चलता था घोटाला
‘जंबो गेमिंग 365’ नाम की वेबसाइट पर ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग का खेल रचा गया। भोले-भाले लोगों को गेम में जीत और बड़े मुनाफे का झांसा दिया गया, जबकि असल में उनके खातों के जरिए करोड़ों रुपये देश-विदेश में भेजे जाते थे। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने देशभर में करीब 500 फ्रेंचाइजियों के जरिए सालाना 8 से 8.5 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।
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पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
संभल पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की और पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गिरोह ने अब तक कई राज्यों में गरीब परिवारों के खातों का दुरुपयोग किया है। अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि और किन-किन राज्यों में इस तरह के नेटवर्क सक्रिय हैं।
उठते बड़े सवाल
यह घोटाला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि कैसे गरीब और अनजान लोगों के बैंक खाते हवाला और ऑनलाइन गेमिंग नेटवर्क के लिए आसान टारगेट बन जाते हैं। साइबर फ्रॉड के इस नए रूप ने ग्रामीण और शहरी गरीबों को गहरी मुसीबत में डाल दिया है। पुलिस की कार्रवाई से फिलहाल राहत जरूर मिली है, लेकिन यह मामला डिजिटल ठगी के बढ़ते नेटवर्क पर बड़ा अलार्म है।
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