मटर और गाजर की खेती सितंबर में क्यों है खास? जानें खर्च और मुनाफे का पूरा हिसाब
सितंबर का महीना किसानों के लिए बेहद खास माना जाता है क्योंकि इस समय कई ऐसी सब्जियों की बुवाई की जाती है जिनकी मार्केट में डिमांड भी ज्यादा होती है और दाम भी अच्छे मिलते हैं। इन सब्जियों की खासियत यह है कि ये साल में कुछ ही महीने बाजार में उपलब्ध रहती हैं, इसलिए […]
सितंबर का महीना किसानों के लिए बेहद खास माना जाता है क्योंकि इस समय कई ऐसी सब्जियों की बुवाई की जाती है जिनकी मार्केट में डिमांड भी ज्यादा होती है और दाम भी अच्छे मिलते हैं। इन सब्जियों की खासियत यह है कि ये साल में कुछ ही महीने बाजार में उपलब्ध रहती हैं, इसलिए इनकी कीमत दोगुनी हो जाती है। इस समय की गई बुवाई से सब्जियां सर्दियों में तैयार हो जाती हैं और सर्दियों में मांग बढ़ने से किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलता है। खास बात यह है कि इनकी खेती में खर्चा भी कम आता है और आमदनी कई गुना तक बढ़ जाती है।
मटर की खेती
गाजर की खेती
सितंबर में गाजर की खेती करना किसानों को बंपर मुनाफा दिला सकता है। गाजर की मांग सर्दियों में सबसे अधिक होती है क्योंकि इसका इस्तेमाल सलाद, सूप और खासकर गाजर का हलवा बनाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है। शादी-ब्याह और पार्टियों में भी गाजर का हलवा सबसे पसंदीदा मिठाई है। गाजर की खेती के लिए पूसा केसर, नैनटेस, पूसा मेघाली और पूसा वसुधा जैसी किस्में बहुत बेहतर मानी जाती हैं। ये किस्में मीठी और स्वादिष्ट होने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। एक हेक्टेयर में गाजर की खेती करने से किसान 250 से 400 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं।
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