मुज़फ्फरनगर में धर्म स्वातंत्र्य कानून के समर्थन में संत समाज, कहा – प्रलोभन और दबाव में न हो धर्म परिवर्तन

मुज़फ्फरनगर। मुज़फ्फरनगर में सट्टा कुटी आनंद आश्रम के संत समाज ने धर्म स्वातंत्र्य कानून का समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून देश के गरीब, दलित और आदिवासी वर्ग को प्रलोभन और दबाव में किए जा रहे जबरन धर्म परिवर्तन से सुरक्षा प्रदान करेगा। संतों ने इस कानून को देशहित में आवश्यक बताते हुए इसे देशभर में लागू करने की मांग की है।
संत आसाराम बापू के शिष्य कन्हैया ब्रह्मचारी ने कहा कि“भारत सरकार द्वारा लाया गया धर्म स्वातंत्र्य कानून आज के समय में बहुत ज़रूरी है। देश के कई हिस्सों में — जैसे पंजाब, कर्नाटक, असम और मणिपुर में — हमारे गरीब, दलित और आदिवासी भाइयों का जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। कुछ लोग इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर गुमराह कर रहे हैं, जबकि यह कानून हमारे सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक मजबूत कदम है।”
उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान नहीं लिया, तो हिंदू समाज का गरीब तबका धीरे-धीरे टूटता जाएगा।
संत समाज ने संत आसाराम बापू की धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम की भी सराहना की, जिसमें हजारों लोगों को "घर वापसी" कराकर पुनः हिंदू धर्म से जोड़ा गया था।
संत समाज ने धर्म स्वातंत्र्य कानून को देशभर में लागू करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट से कानून की सच्चाई को समझकर निर्णय लेने की अपील। कहा – "प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन एक सामाजिक बीमारी बन चुका है।" धर्म परिवर्तन विरोधी मुहिम में संत आसाराम बापू का योगदान भी किया याद।
संतों ने दो टूक कहा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म के प्रचार का अधिकार है, लेकिन किसी को लालच या दबाव देकर धर्म बदलने को मजबूर करना नैतिक और कानूनी रूप से गलत है।