त्योहारी सीजन और जीएसटी सुधारों से बढ़ी कर्ज की रफ्तार: बैंकों के मुनाफे में आने वाले महीनों में जबरदस्त उछाल के आसार
Bank Loan: त्योहारी सीजन और जीएसटी दरों में सुधार के चलते देश के बैंकिंग सेक्टर में कर्ज की रफ्तार तेज हो गई है। सिस्टमैटिक्स रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में क्रेडिट ग्रोथ सालाना आधार पर 11.4% तक पहुंच गई, जबकि पहली तिमाही में यह सुस्त थी। रिपोर्ट का मानना है कि यह तेजी त्योहारी मांग, टैक्स सुधारों और उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी का परिणाम है।
चार वजहों से बढ़ेगा बैंक मुनाफा
जमा पर घटती ब्याज दरें,
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में कमी,
और असुरक्षित लोन (पर्सनल लोन आदि) में सुधार।
माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में सुधार से बैंकिंग सिस्टम को राहत
रिपोर्ट में कहा गया है कि माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFI) में लोन न चुकाने के मामलों में गिरावट आई है। इससे बैंकों का एनपीए (Non-Performing Assets) कम होगा और वित्तीय स्थिरता मजबूत होगी। साथ ही, कई बैंक जमा पर ब्याज दरों को पुनः तय कर रहे हैं, जिससे उनकी लागत में कमी आएगी और नेट प्रॉफिट पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) पर अस्थायी असर
रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बैंकों का NIM (नेट इंटरेस्ट मार्जिन) थोड़ा घटा है, लेकिन यह गिरावट अस्थायी रहेगी। कुछ बैंकों ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है क्योंकि लोन यील्ड (ब्याज से आय) में मामूली कमी के बावजूद जमा पर ब्याज खर्च भी घटा है, जिससे समग्र प्रभाव सीमित रहा।
फिक्स डिपॉजिट रेट बदलाव और सीआरआर कटौती से मिलेगा फायदा
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में किए गए बदलावों का असर वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में देखने को मिलेगा। वहीं, सीआरआर में कटौती से बैंकों की तरलता बढ़ेगी। बैंक प्रबंधन का अनुमान है कि तीसरी तिमाही में मुनाफा स्थिर रहेगा, जबकि चौथी तिमाही से इसमें सुधार शुरू होगा - बशर्ते आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कोई बड़ी कटौती न की जाए।
आरबीआई के आंकड़े: कर्ज और जमा दोनों में बढ़त
भारतीय रिज़र्व बैंक के 3 अक्तूबर 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, बैंकिंग सिस्टम में कुल कर्ज में तिमाही आधार पर 4.2% और सालाना आधार पर 11.4% की वृद्धि हुई है। वहीं जमा में 2.9% (तिमाही) और 9.9% (वार्षिक) की बढ़ोतरी दर्ज की गई। सार्वजनिक बैंकों में डिपॉजिट स्थिति स्थिर रही, हालांकि कुल जमा वृद्धि अब भी कर्ज की तुलना में धीमी बनी हुई है।
