बिहार में चुनावी मौसम शुरू होते ही नेताओं के बयान भी अनिश्चित हो गए हैं। इस बार मैदान में उतरे तेजस्वी यादव ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महागठबंधन की सरकार बनने पर पंचायत प्रतिनिधियों का भत्ता दोगुना करने, पुराने प्रतिनिधियों को पेंशन देने और नाई, कुम्हार, लोहार जैसे समाज को 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की।
तेजस्वी यादव ने कहा, “बीजेपी को 20 साल दिए, हमें दो 20 महीने।” उनका यह कदम पंचायत और जातीय समीकरण में वोट बैंक बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
हालांकि, विपक्षी नेताओं और रणनीतिकारों ने इस घोषणा पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। प्रशांत किशोर ने तेजस्वी पर हमला बोलते हुए कहा कि यह वादा जनता को लालच देने जैसा है और जीतने के बाद गैरकानूनी गतिविधियों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
बिहार की राजनीति में चुनाव से पहले ‘वादों की थाली’ हर बार परोसी जाती है — कभी रोजगार, कभी विकास और अब पंचायत पेंशन व जातीय सहायता। जनता अब इस थाली को ‘राजनीतिक मिठाई’ मानेगी या ‘वास्तविक बदलाव’ समझेगी, यह अगले चुनाव में ही स्पष्ट होगा।