हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला: अब ग्राम पंचायतें 250 एकड़ सार्वजनिक भूमि का कर सकेंगी उपयोग, विकास कार्यों में मिलेगा नया आयाम

Haryana News: हरियाणा सरकार ने रविवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए ग्राम पंचायतों को 100 एकड़ की जगह अब 250 एकड़ तक सार्वजनिक भूमि उपयोग की अनुमति देने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल बैठक में यह निर्णय पारित किया गया। इस फैसले से गांवों में विकास कार्यों, कृषि, पशुपालन और अन्य जनसेवाओं से जुड़ी योजनाओं को मजबूती मिलेगी।
ग्राम शामलात भूमि नियम 1964 में किया गया संशोधन

दिव्यांगों के लिए विशेष आरक्षण प्रावधान
संशोधित नियमों के अनुसार, खेती के लिए पट्टे पर दी जाने वाली भूमि में से चार प्रतिशत भूमि उन व्यक्तियों के लिए आरक्षित होगी जिनकी बेंचमार्क विकलांगता 60 प्रतिशत या उससे अधिक है। यह प्रावधान समाज के कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण की दिशा में एक सराहनीय कदम है।
गो अभयारण्य के लिए दी जाएगी भूमि, तय हुई किराया दर
ग्राम शामलात भूमि नियम 1964 के नियम 6 (2ए) में संशोधन कर यह सुनिश्चित किया गया है कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग या हरियाणा गो सेवा आयोग को गो अभयारण्य स्थापित करने के उद्देश्य से 20 वर्ष की अवधि के लिए भूमि पट्टे पर दी जा सकेगी। यह भूमि 5100 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से दी जाएगी। इससे प्रदेश में गोसेवा को नई दिशा मिलेगी और पशु संरक्षण के प्रयास मजबूत होंगे।
हाउसिंग बोर्ड का हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में विलय
हरियाणा मंत्रिमंडल ने हाउसिंग बोर्ड (संशोधन) विधेयक 2025 के ड्राफ्ट को मंजूरी दी है। इसके तहत हरियाणा हाउसिंग बोर्ड का विलय हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में किया गया है। इस निर्णय से शहरी विकास और आवास से संबंधित कार्य अधिक समन्वित और प्रभावी होंगे। मुख्यमंत्री ने बजट भाषण 2025–26 में इस एकीकरण का ऐलान किया था। इसका उद्देश्य प्रशासनिक दोहराव समाप्त कर सेवाओं की दक्षता बढ़ाना है।
अब ग्राम सभा बैठकों में 40% सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य
कैबिनेट बैठक में हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश 2025 को भी मंजूरी दी गई। संशोधन के अनुसार, किसी भी योजना के लाभार्थियों पर निर्णय लेने और मंजूरी देने के लिए ग्राम सभा की बैठक में कम से कम 40 प्रतिशत सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक होगी। पहली स्थगित बैठक में 30 प्रतिशत और दूसरी स्थगित बैठक में 20 प्रतिशत उपस्थिति का प्रावधान होगा। इस बदलाव से पंचायत व्यवस्था में पारदर्शिता और सहभागिता को बढ़ावा मिलेगा।