50 लाख की फिरौती का झूठा ऑपरेशन: इंजीनियर के बेटे ने अपना ही अपहरण करवाया, मंदसौर पुलिस ने 24 घंटे में खोला पूरा खेल
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में लोक निर्माण विभाग, गरोठ में पदस्थ इंजीनियर कमल जैन के बेटे हर्षल जैन के कथित अपहरण का रहस्य पुलिस ने 24 घंटे के भीतर सुलझा दिया। पुलिस जांच में सामने आया कि इस कथित अपहरण कांड का मास्टरमाइंड कोई और नहीं बल्कि खुद हर्षल जैन ही था, जिसने कर्ज चुकाने के लिए यह नाटक रचा।
कर्ज में डूबे बेटे की खतरनाक योजना
सात पुलिस टीमें मैदान में उतरीं
पुलिस अधीक्षक विनोद मीना ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सात टीमों का गठन किया। गरोठ एएसपी हेमलता कुरील और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में शामगढ़, वायडी नगर, नारायणगढ़, सीतामऊ और मल्हारगढ़ पुलिस को तलाश में लगाया गया।
तकनीकी जांच ने पकड़ा झूठ
एसडीओपी नरेंद्र सोलंकी की टीम ने पूरे मामले की तकनीकी जांच शुरू की। इसमें मोबाइल लोकेशन, फास्टैग, वाहन संबंधी जानकारी और कॉल रिकॉर्ड खंगाले गए। मोबाइल का अंतिम लोकेशन बूंदी जिले के हिंडोली इलाके में पाया गया, जिससे जांच तेज हो गई।
राजस्थान में मिला सुराग
जांच में पुलिस को पता चला कि हर्षल कोटा में अपने मित्र गणपतसिंह के साथ रहता था। दोनों एक कैफे ‘देशी चाय का ठेका’ चलाते थे और कूलर की जाली बनाने का नया व्यवसाय भी शुरू कर रहे थे। तकनीकी जाँच ने पुलिस को कोटा तक पहुंचाया, जहां दोनों पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
दोस्तों ने उगली सच्चाई
पूछताछ में गणपतसिंह ने पूरी कहानी उगल दी। उसने बताया कि हर्षल पर भारी कर्ज था, और दोनों ने मिलकर यह योजना बनाई। गणपत के दो अन्य दोस्त-जनरेलसिंह और कुलदीप-को भी फिरौती की योजना में शामिल किया गया था।
फिरौती की रकम बांटने की थी प्लानिंग
योजना के मुताबिक गुरुवार शाम को हर्षल के मोबाइल से पिता कमल जैन को फोन कर 50 लाख की फिरौती मांगी गई। उनका इरादा था कि पुलिस की हरकतें देखकर दूसरे दिन फिर फोन करेंगे और तय राशि लेकर फरार हो जाएंगे। लेकिन पुलिस इससे पहले ही उन तक पहुंच गई।
मास्टरमाइंड हर्षल और गणपत गिरफ्तार
पुलिस ने हर्षल और गणपतसिंह को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि जनरेलसिंह और कुलदीप की तलाश जारी है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने फिरौती की राशि बांटने की पूरी तैयारी कर रखी थी।
