अंता सीट पर भाजपा की दो धाराएँ, स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार और संगठनात्मक संतुलन की परीक्षा

Rajasthan News: अंता विधानसभा उपचुनाव से पहले भाजपा के भीतर सियासी तापमान चरम पर है। कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया को अपना उम्मीदवार घोषित कर बढ़त ले ली है, वहीं भाजपा अभी भी “कौन बनेगा उम्मीदवार” के सवाल में उलझी हुई है। इस उपचुनाव को पार्टी के लिए संगठनात्मक एकता की परीक्षा माना जा रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी पसंद के उम्मीदवार को मैदान में उतारने के लिए सक्रिय हैं। उनके समर्थक स्थानीय नेताओं से लगातार संपर्क में हैं और राजे की पकड़ और प्रभाव को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों में उनका निर्णायक कद स्थापित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री का संतुलन प्रयास
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मंगलवार को लंबी बैठक की, जिसमें अंता सीट पर नामों की सूची और संगठनात्मक संतुलन पर मंथन हुआ। उनका लक्ष्य विभिन्न गुटों के बीच सामंजस्य बनाए रखना और पार्टी की रणनीति को सुदृढ़ करना है।
स्थानीय बनाम बाहरी उम्मीदवार का मुद्दा
पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती स्थानीय और बाहरी उम्मीदवार के बीच चयन की है। पिछले चार चुनावों में बाहरी चेहरों पर दांव लगाया गया था, लेकिन इस बार स्थानीय कार्यकर्ताओं ने “अंता का बेटा चाहिए” का संदेश स्पष्ट कर दिया है।
सोशल मीडिया और रिपोर्टिंग का असर
हाल ही में वायरल हुए वीडियो में स्थानीय कार्यकर्ताओं ने बाहरी उम्मीदवारों का विरोध किया। जिलाध्यक्ष नरेश सिंह सिकरवार ने प्रदेश नेतृत्व को रिपोर्ट भेजी, जिसमें चेतावनी दी गई कि बाहरी प्रत्याशी को टिकट मिलने पर कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर सकता है।
सक्रिय दावेदारों की सूची
भाजपा में छह से अधिक दावेदार सक्रिय हैं। स्थानीय नेताओं में प्रखर कौशल, आनंद गर्ग, नंदलाल सुमन और जयेश गालव चर्चा में हैं। वहीं भगवती देवी और पूर्व विधायक नरेंद्र नागर को भी रेस में माना जा रहा है।
केंद्रीय और राज्य नेतृत्व का निर्णय अहम
दिल्ली में नेतृत्व की बैठक के बाद उम्मीदवार पर मुहर लगने की संभावना है। भाजपा नेतृत्व ऐसे उम्मीदवार को चुनना चाहता है जो जमीन पर स्वीकार्य हो और राजनीतिक संतुलन बनाए रख सके।
अंता उपचुनाव: संगठनात्मक एकता की परीक्षा
भाजपा ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पारंपरिक गढ़ को देखते हुए सांसद दामोदर अग्रवाल को प्रभारी नियुक्त किया है। उपचुनाव का परिणाम संगठनात्मक संतुलन और भविष्य की रणनीति के लिए अहम होगा।
राजनीतिक विश्लेषण: राजे बनाम संगठन
विश्लेषकों का मानना है कि यह उपचुनाव “राजे बनाम संगठन” की दिशा तय करेगा। यदि भाजपा मजबूत प्रदर्शन करती है, तो यह सीएम भजनलाल शर्मा और नए नेतृत्व के लिए राहत होगी। गुटबाजी से पार्टी पिछड़ी, तो कांग्रेस को लाभ मिलेगा।