कोटा फिर हुआ मायूस: MBBS छात्रा ने की आत्महत्या, नंबर कम आने से टूटी थी हिम्मत

पढ़ाई का दबाव बना जानलेवा

कोटा में बढ़ती आत्महत्याएँ
जयपुर और दिल्ली के बाद कोटा देश के सबसे बड़े शिक्षा केंद्रों में गिना जाता है, मगर अब यह ‘सुसाइड कैपिटल’ के रूप में भी जाना जाने लगा है। हर महीने यहां से सुसाइड की खबरें सामने आना चिंता का विषय बन गया है। इसी माह 1 अक्टूबर को भी एक 20 वर्षीय छात्र ने अपने पीजी कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी थी। वह कभी कोटा के प्रसिद्ध कोचिंग संस्थान में NEET की तैयारी कर चुका था। इन घटनाओं ने फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या सफलता की होड़ और परीक्षा का दबाव युवाओं की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है?
महाराष्ट्र में महिला डॉक्टर ने की आत्महत्या
उधर, कोटा की इस खबर के बीच महाराष्ट्र के सतारा जिले से भी आत्महत्या का एक दर्दनाक मामला सामने आया। एक महिला डॉक्टर ने कथित रूप से खुदकुशी कर ली और अपनी हथेली पर एक नोट लिखा, जिसमें एक पुलिस अधिकारी और दो अन्य लोगों के नाम दर्ज थे। सतारा के पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी ने बताया कि महिला डॉक्टर की मौत के बाद आरोपी पुलिस उपनिरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है। तीनों पर बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है, और पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिया गया है।
समाज को सोचने की ज़रूरत
लगातार बढ़ रहे सुसाइड के मामलों ने अब समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है — क्या हम अपने युवाओं को केवल सफलता के लिए तैयार कर रहे हैं या जीवन के संघर्षों को झेलने की ताकत भी दे रहे हैं? विशेषज्ञ मानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करने का समय आ गया है। कोटा जैसे शहरों में मनोवैज्ञानिक परामर्श और ‘काउंसलिंग सेल’ को और प्रभावी बनाने की जरूरत है, ताकि कोई और युवा अपने सपनों के साथ अपनी ज़िंदगी गंवाने को मजबूर न हो।
