देहरादून में स्मार्ट मीटर पर बवाल: चार गुना बढ़े बिजली बिलों से लगे आरोप, भाजपा पार्षदों ने घेरा इंजीनियर का दफ्तर

Uttarakhand News: देहरादून में स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली बिलों में आई अप्रत्याशित वृद्धि ने लोगों का गुस्सा भड़का दिया है। मंगलवार को भाजपा पार्षदों और क्षेत्रवासियों ने ईसी रोड स्थित अधिशासी अभियंता के कार्यालय के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व पार्षद मीनाक्षी नौटियाल ने किया, जिन्होंने आरोप लगाया कि विभाग ने बिना उपभोक्ताओं की सहमति के उनके घरों में स्मार्ट मीटर लगाए हैं।
चार गुना तक बढ़े बिजली बिल से मचा हड़कंप

बिना अनुमति लगाए गए मीटर, पारदर्शिता पर सवाल
पार्षदों का आरोप है कि विभाग के ठेकेदारों ने बिना किसी पूर्व सूचना और उपभोक्ताओं की अनुमति के मीटर बदल दिए। विरोध करने वाले नागरिकों की बात तक नहीं सुनी गई। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह प्रक्रिया चयनात्मक तरीके से कुछ खास इलाकों में ही की गई है, जिससे संदेह पैदा होता है कि यह योजना पारदर्शी नहीं है। भाजपा पार्षदों ने चेताया कि यदि विभाग ने तुरंत जांच नहीं कराई, तो धरना-प्रदर्शन और तेज किया जाएगा।
आठ महीने से रुका पुराना बिल, उपभोक्ताओं की आर्थिक परेशानी
एक और गंभीर आरोप यह भी लगाया गया कि पुराने लगे मीटरों का बिल पिछले आठ महीनों से जारी नहीं किया गया। अब जब स्मार्ट मीटर लगा दिए गए हैं, तो एक साथ भारी रकम का बकाया बिल भेजा जा रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि यह अचानक आर्थिक बोझ डालने जैसा है। बिजली विभाग पर यह भी आरोप लगाया गया कि उपभोक्ताओं से बिना परामर्श के मीटर बदलना ‘उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन’ है।
भाजपा पार्षदों की दो प्रमुख मांगें
प्रदर्शनकारियों ने अधिशासी अभियंता को ज्ञापन सौंपते हुए दो प्रमुख मांगें रखीं। पहली, प्रत्येक उपभोक्ता के घर पर ‘चेक मीटर’ लगाकर खपत की वास्तविक जांच की जाए। दूसरी, जब तक यह जांच रिपोर्ट नहीं आती, तब तक स्मार्ट मीटर के बिलों की वसूली पर रोक लगाई जाए। भाजपा पार्षदों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि विभाग ने समाधान नहीं निकाला, तो वे अपने स्तर पर मीटर हटाकर कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना देंगे।
अधिकारियों पर बढ़ा दबाव, जनता में नाराजगी
विरोध प्रदर्शन के बाद विभागीय अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है। शहर भर में इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है कि आखिर स्मार्ट मीटर से बिल अचानक इतने ज्यादा कैसे बढ़ गए। भाजपा पार्षदों ने कहा कि यह सिर्फ बिजली की नहीं, बल्कि उपभोक्ता विश्वास की भी लड़ाई है। उन्होंने दो टूक कहा कि जब तक जांच पारदर्शी नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
सरकार और विभाग के लिए चेतावनी का संकेत
स्मार्ट मीटर विवाद अब स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं रहा। भाजपा पार्षदों के खुलकर विरोध में उतरने से सरकार और बिजली विभाग दोनों के सामने जवाबदेही का सवाल खड़ा हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर स्थिति जस की तस रही, तो आंदोलन शहर के अन्य हिस्सों में भी फैलाया जाएगा। जनता और पार्षद दोनों ने एक स्वर में कहा - “स्मार्ट मीटर नहीं, स्मार्ट समाधान चाहिए।