महागठबंधन में सीट-संघर्ष जारी; कांग्रेस 60+ पर अड़ी, RJD ने 58 की लिमिट तय की, NDA हमलावर

पटना/दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक तरफ जहाँ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अपना सीट बंटवारा लगभग पूरा कर लिया है और प्रत्याशियों की सूची जारी करनी शुरू कर दी है, वहीं विपक्षी महागठबंधन में अभी भी सब कुछ अधर में लटका हुआ है। सीट बंटवारे में हो रही इस अभूतपूर्व देरी के पीछे मुख्य वजह कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बीच की खींचतान है।

सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन में सबसे बड़ी अड़चन कांग्रेस की 60 से अधिक सीटों की मांग है। कांग्रेस, जो पिछली बार 70 सीटों पर लड़ी थी, इस बार भी अपनी साख बनाए रखने के लिए 60 से 65 सीटों पर अड़ी हुई है। वहीं, RJD 58 सीटों की अधिकतम सीमा तय कर चुकी है। RJD चाहती है कि वह अपने कोटे से वामपंथी दलों (CPI, CPIM, CPIML) और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) जैसे सहयोगियों को भी पर्याप्त सीटें दे। VIP को लेकर 18 सीटों पर सहमति बनने की खबर है, लेकिन कांग्रेस के साथ सीटों की संख्या और महत्वपूर्ण सीटों को लेकर गतिरोध जारी है।
सिर्फ संख्या नहीं, सियासी जमीन की लड़ाई
जानकार बताते हैं कि यह लड़ाई केवल सीटों की संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि 'सियासी जमीन' को लेकर है। कांग्रेस सीमांचल और दलित-मुस्लिम (DM) बहुल उन सीटों पर दावेदारी कर रही है, जो RJD के कोर बेस से जुड़ी हैं। RJD इन सीटों पर अपना आधार बनाए रखना चाहती है, जबकि कांग्रेस अपनी पुरानी जमीन तलाश रही है।
NDA का हमला
पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख (17 अक्टूबर) बेहद करीब आने के बावजूद आधिकारिक घोषणा न होने से NDA के नेताओं को महागठबंधन पर हमलावर होने का मौका मिल गया है। NDA नेताओं का कहना है कि जो गठबंधन चुनाव से पहले एकजुट नहीं हो सकता, वह बिहार को क्या स्थिरता देगा।
देरी के कारण RJD और भाकपा माले (CPIML) जैसे दलों ने आधिकारिक समझौते से पहले ही अपने कुछ उम्मीदवारों को सिंबल बांटने शुरू कर दिए हैं, जिससे गठबंधन में कन्फ्यूजन और बढ़ गया है। अगर जल्द ही बात नहीं बनी तो कुछ सीटों पर 'फ्रेंडली फाइट' होने की संभावना भी बन सकती है।
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