भगवान महावीर ने कहा है कि हमें सभी प्राणियों को मित्र, सखा और सहोदर समझना चाहिए। यदि यह भाव हमारे व्यवहार में झलकता है, तो अहिंसा का वातावरण स्वतः निर्मित हो जाता है और पशु भी हिंसा का त्याग कर देते हैं।
अच्छे लोगों की संगति में पापी भी सुधर जाते हैं। संसार में संकट तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति एक-दूसरे से भय या अविश्वास करता है। इसलिए ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जिसमें भय और संदेह की स्थिति उत्पन्न ही न हो।
संसार में किसी धर्म या संप्रदाय ने मानवता को महत्व न दिया हो, ऐसा नहीं है। भारतीय धर्मों का मूल आधार मानवता ही है। मानव के साथ-साथ पशुओं के प्रति अन्याय भी अनुचित है।
भगवान राम के शासनकाल में भाई लक्ष्मण को यह दायित्व दिया गया था कि कोई भी पक्षपात, अन्याय या शोषण न हो। रामराज्य में मानवाधिकार और पशुओं के प्राकृतिक अधिकार दोनों सुरक्षित थे। यही कारण है कि आज भी रामराज्य की स्थापना की कल्पना की जाती है।