सेना में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल जरूरी- सीडीएस अनिल चौहान

रांची। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय सेना को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सहित आधुनिक तकनीकों से लैस करना समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष और साइबर युद्ध की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार लगातार जरूरी उपकरणों के विकास पर काम कर रही है।
रांची में आर्मी के इस्टर्न कमांड की ओर से आयोजित ईस्ट टेक सिंपोजियम को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने कहा, “तेजी से बदलती तकनीक को ध्यान में रखकर हमें रक्षा निर्माण का आधार मजबूत करना होगा। एआई और अन्य नवाचार भविष्य की लड़ाइयों में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।” उन्होंने कहा कि किसी भी युद्ध में हथियारों का चयन रणनीतिक सोच के साथ होना चाहिए। इसके लिए समय और परिस्थितियों के हिसाब से अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को प्राथमिकता देनी होगी।
सीडीएस ने बताया कि रक्षा निर्माण क्षेत्र में स्वदेशीकरण की प्रक्रिया भारत में देर से शुरू हुई, लेकिन अब देश सही दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार की एक्ट ईस्ट नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके लक्ष्य तभी पूरे होंगे, जब झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य सक्रिय योगदान दें। जनरल चौहान ने कहा, “युद्ध विज्ञान भी है और कला भी। मौजूदा दौर में योद्धा को रचनात्मक और नवाचार से परिपूर्ण होना चाहिए।”
उन्होंने संगोष्ठी में शामिल विशेषज्ञों और उद्यमियों से आग्रह किया कि वे तकनीकी नवाचार को प्राथमिकता दें, ताकि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सके। रांची के खेलगांव परिसर में शुरू हुए तीन दिवसीय ईस्ट टेक सिंपोजियम का उद्घाटन झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संयुक्त रूप से किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूरेनियम जैसे खनिजों से संपन्न झारखंड रक्षा क्षेत्र, खासकर परमाणु क्षमता से जुड़े विकास कार्यों में अहम योगदान दे सकता है। इस मौके पर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। सेना के इस्टर्न कमांड की ओर से ईस्ट टेक सिंपोजियम का यह चौथा आयोजन है। पहला आयोजन 2022 में कोलकाता, दूसरा 2023 में गुवाहाटी और तीसरा 2024 में कोलकाता में हुआ था।