स्वामी रामभद्राचार्य पर अपमानजनक वीडियो तत्काल हटाने का आदेश, हाईकोर्ट ने यूट्यूबर को लगाई फटकार

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जगतगुरू स्वामी रामभद्राचार्य के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर चल रहे अपमानजनक वीडियो पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने ऐसे सभी वीडियो को तत्काल हटाने का आदेश दिया है।
दिव्यांगता पर की गई थी अपमानजनक टिप्पणी
यह याचिका शरद चंद्र श्रीवास्तव ने दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि यूट्यूबर शशांक शेखर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर स्वामी रामभद्राचार्य के खिलाफ अपमानजनक वीडियो प्रसारित कर रहे हैं।
स्वामी रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित जगदगुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। उनकी आंखों की रोशनी बचपन में ही चली गई थी। वीडियो में उनकी इसी दिव्यांगता को लेकर अपमानजनक टिप्पणियां की गई थीं।
कोर्ट ने दिव्यांगों के लिए काम करने वाले स्टेट कमिश्नर को भी यूट्यूबर शशांक शेखर के खिलाफ कार्यवाही का आदेश दिया है।
सोशल मीडिया पर नियंत्रण के लिए नियम बनाने की मांग
याचिका में केंद्र और राज्य सरकार से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण के लिए कड़े नियम बनाने की भी मांग की गई है ताकि इस तरह के अनियंत्रित व्यवहार पर रोक लगाई जा सके। मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।
कौन हैं जगतगुरू स्वामी रामभद्राचार्य?
स्वामी रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं। उनका वास्तविक नाम गिरिधर मिश्रा है।
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वे एक प्रसिद्ध प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं।
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वे रामानंद संप्रदाय के मौजूदा चार जगद्गुरुओं में से एक हैं और इस पद पर वह 1988 से आसीन हैं।
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वह चित्रकूट में जगदगुरू रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति भी हैं।
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चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना का श्रेय भी इन्हीं को जाता है।
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इन्होंने दो संस्कृत और दो हिंदी में मिलाकर कुल चार महाकाव्यों की रचना की है।
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इन्हें भारत में तुलसीदास पर सबसे बेहतरीन विशेषज्ञों में गिना जाता है।
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साल 2015 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।
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