कंगना रनोत पर राजद्रोह का केस चलेगा: किसान आंदोलन को लेकर दिए विवादित बयान पर आगरा कोर्ट का बड़ा फैसला
Agra News: आगरा में अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनोत के खिलाफ राजद्रोह और किसानों के अपमान के मामले में अब मुकदमा चलेगा। बुधवार को स्पेशल जज एमपी-एमएलए लोकेश कुमार की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कंगना के खिलाफ दायर रिवीजन याचिका को स्वीकार कर लिया।
हिमाचल से सांसद कंगना के खिलाफ 6 बार जारी हुए समन
कंगना रनोत इस समय हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा सांसद हैं। उनके खिलाफ यह मामला किसानों के अपमान और देशद्रोह के आरोप में दर्ज हुआ था। अदालत में अब तक 6 बार समन जारी किए जा चुके हैं, लेकिन कंगना एक बार भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुई हैं। याचिकाकर्ता ने उन पर किसानों की छवि खराब करने और राष्ट्र के प्रति असम्मान फैलाने का आरोप लगाया है।
किसान परिवार से आने वाले वकील ने लगाया गंभीर आरोप
यह मामला वकील रमाशंकर शर्मा ने दायर किया था। उन्होंने 11 सितंबर 2024 को आगरा कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि कंगना ने 26 अगस्त 2024 को एक इंटरव्यू में किसानों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिससे लाखों किसानों की भावनाएं आहत हुईं।
शर्मा ने कहा कि वे स्वयं किसान परिवार से हैं और 30 वर्षों तक खेती-किसानी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने बताया कि कंगना ने किसानों को लेकर कहा था - “अगर देश का नेतृत्व मजबूत नहीं होता तो देश में बांग्लादेश जैसे हालात बन जाते।” शर्मा के अनुसार, इस बयान से किसानों को बलात्कारी, हत्यारा और उग्रवादी बताने की कोशिश की गई। उन्होंने पुलिस कमिश्नर और थाना न्यू आगरा को भी शिकायत भेजकर कार्रवाई की मांग की थी।
किसान आंदोलन के वक्त दिए थे कई विवादित बयान
कंगना रनोट ने किसान आंदोलन के दौरान सोशल मीडिया पर कई बयान दिए थे। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों की तुलना “खालिस्तानी आतंकवादियों” से की थी और लिखा था कि “खालिस्तानी आतंकवादी सरकार पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन हमें इंदिरा गांधी को नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने इन्हें जूती के नीचे कुचल दिया था।”
इसके अलावा, 27 नवंबर 2020 को उन्होंने एक पोस्ट में शाहीन बाग आंदोलन की बुजुर्ग महिला बिलकिस दादी की फोटो लगाते हुए लिखा था – “यह वही 100 रुपए लेकर धरने में बैठने वाली महिला हैं।” इस पोस्ट ने किसानों और महिला संगठनों के बीच तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी थी।
आजादी पर बयान ने और बढ़ाया विवाद
7 नवंबर 2021 को कंगना रनोत ने एक और बयान दिया था – “1947 में हमें जो आजादी मिली, वह भीख थी; असली आजादी 2014 में मिली जब मोदी सरकार आई।” इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में जबरदस्त विवाद खड़ा कर दिया था। कई दलों और संगठनों ने इसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान बताया और राजद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग उठाई थी।
थप्पड़ विवाद से भी जुड़ा किसान आंदोलन
साल 2024 में चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर कंगना रनोत को एक CISF कॉन्स्टेबल कुलविंदर कौर ने थप्पड़ मार दिया था। बाद में सामने आए वीडियो में कॉन्स्टेबल ने कहा कि कंगना ने जिस महिला को 100 रुपए में धरने पर बैठने वाली कहा था, वह उनकी मां थीं। घटना के बाद कुलविंदर को हिरासत में लिया गया और सस्पेंड भी कर दिया गया था।
अब कोर्ट में तय होगी सच्चाई
अब आगरा की निचली अदालत में यह केस फिर से खुलेगा। यह देखा जाएगा कि कंगना के बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा के अंदर आते हैं या वास्तव में उन्होंने किसानों का अपमान और राष्ट्रद्रोह किया है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि मामला हाई-प्रोफाइल है और इसमें राजनीतिक व सामाजिक दोनों पहलू शामिल हैं।
