यूपी की सियासत में 'ठाकुर कुटुंभ' के बाद 'ब्राह्मण कुटुंब' का शंखनाद: ब्राह्मणों की नाराजगी से बीजेपी की बढ़ी मुश्किलें
लखनऊ- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ इस समय कड़ाके की ठंड के बीच सियासी तपिश से उबल रही है। विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मंगलवार की शाम कुशीनगर के भाजपा विधायक पीएन पाठक के सरकारी आवास पर एक ऐसी बैठक हुई, जिसने सत्ताधारी दल भाजपा की नींद उड़ा दी है। इसे नाम तो 'सहभोज' का दिया गया, लेकिन इसके भीतर पक रही सियासी खिचड़ी के सुर पूरी तरह से 'बगावती' और 'अस्तित्व' की लड़ाई के नजर आए।
उपेक्षा का दर्द और 'शक्ति' का एहसास सूत्रों का कहना है कि बैठक में विधायकों ने दो टूक शब्दों में कहा कि प्रदेश की राजनीति में कई अन्य जातियां संगठित होकर 'पावरफुल' हो गई हैं, जबकि भाजपा का पारंपरिक आधार स्तंभ माना जाने वाला ब्राह्मण समाज पिछड़ता जा रहा है। जातिगत खांचों में ब्राह्मणों की आवाज को दबाया जा रहा है और नौकरशाही से लेकर संगठन तक उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। मानसून सत्र में जब 'ठाकुर समाज' के विधायकों ने 'कुटुंब' के नाम पर एकजुटता दिखाई थी, तभी से ब्राह्मण खेमे में छटपटाहट थी, जो अब खुलकर सामने आ गई है।
इटावा कांड और भराला प्रकरण ने डाली चिंगारी बैठक में हालिया 'इटावा चोटी कांड' का मुद्दा भी जोर-शोर से गूंजा। विधायकों ने नाराजगी जताई कि जब समाज पर संकट आया, तो कोई बड़ा नेता खड़ा नहीं हुआ, जबकि विपक्ष ने इसे लपक लिया। वहीं, भाजपा नेता सुनील भराला का प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन और फिर उसे वापस लेने के दबाव ने आग में घी का काम किया है। सोशल मीडिया पर 'ब्राह्मण एकता' के नाम से चल रहे कैंपेन और परशुराम सेना की 2027 की चेतावनी ने विधायकों को यह अहसास करा दिया है कि यदि अब नहीं बोले, तो समाज उनसे छिटक जाएगा।
2027 की डगर और सरकार के सामने चुनौती यूपी विधानसभा में कुल 52 ब्राह्मण विधायक हैं, जिनमें से 46 भाजपा के हैं। इतनी बड़ी संख्या में विधायकों का एकजुट होना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा आलाकमान के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि इस 'कुटुंब' को समय रहते नहीं मनाया गया, तो 2027 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को अपने सबसे मजबूत किले में ही सेंधमारी का सामना करना पड़ सकता है।
मानसून सत्र में 'ठाकुर कुटुंब' की सक्रियता के बाद अब 'ब्राह्मण कुटुंब' के इस तेवर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा आलाकमान के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले ब्राह्मणों की यह नाराजगी भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। फिलहाल, इस बैठक की रिपोर्ट दिल्ली दरबार तक पहुँच चुकी है और सरकार के रणनीतिकार डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। [फोटो साभार- भास्कर]
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