मेरठ: स्थानीय शासन में बढ़ रही मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी, बदल रहा है लोकतंत्र का चेहरा

मेरठ। भारत जैसे विविधतापूर्ण लोकतंत्र में जमीनी स्तर की राजनीति सत्ता की दिशा तय करती है, और अब मुस्लिम महिलाएं इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ‘मुस्लिम महिलाएं और लीडरशिप’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में वक्ताओं ने मुस्लिम महिलाओं की लोकतांत्रिक भागीदारी और नेतृत्व क्षमता पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने कहा कि पार्टियों के जमीनी स्तर से जुड़ाव, खासकर महिलाओं के साथ, उनकी छवि को ‘जनता के रखवाले’ के रूप में गढ़ता है और सत्ता पर उनकी वैधता को मजबूत करता है। आज महिलाएं न केवल चुनाव लड़ रही हैं, बल्कि सामुदायिक मुद्दों को केंद्र में रखकर वैचारिक और सांप्रदायिक बाधाओं को पार कर रही हैं।
प्रो. अल्ताफ मीर ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं स्वतंत्र रूप से या राजनीतिक दलों से जुड़कर न केवल नेतृत्व कर रही हैं, बल्कि समुदाय की छवि को सकारात्मक दिशा भी दे रही हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की कई कल्याणकारी योजनाएं — जैसे उज्ज्वला योजना, जनधन योजना, नारी शक्ति पुरस्कार, स्वयंसिद्धा योजना — मुस्लिम महिलाओं की राजनीतिक और सामाजिक भागीदारी को बढ़ावा दे रही हैं। इन योजनाओं ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है, जिससे वे न केवल अपनी बात कह पा रही हैं बल्कि संस्थागत निर्णयों को भी प्रभावित कर रही हैं।
पसमांदा समुदाय तक सीधी पहुँच और मुस्लिम महिलाओं का सशक्त वोट आधार दिखाता है कि कैसे वे लोकतंत्र के ताने-बाने को नया रूप दे रही हैं। यह बदलाव केवल सांख्यिकीय नहीं, बल्कि नीतिगत और सामाजिक दृष्टि से भी गहरा है।