सहारनपुर। हिन्दी व संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान, श्रीमद्भागवत गीता के मर्मज्ञ, जैन डिग्री कॉलेज में हिन्दी के पूर्व विभागाध्यक्ष तथा एक दर्जन से अधिक पुस्तकों के रचयिता डॉ. विष्णुकांत शुक्ल का आज दोपहर प्रद्युमन नगर स्थित अपने आवास पर निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे और पिछले कुछ माह से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से शिक्षा जगत व साहित्य जगत में शोक व्याप्त है।
डॉ. शुक्ल के परम शिष्य नरेंद्र यादव ने निधन का समाचार देते हुए बताया कि परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार डॉ. शुक्ला की अंतिम यात्रा उनके निवास प्रद्युमन नगर से प्रातः 09 बजे हकीकत नगर श्मशानघाट के लिए शुरु होगी। डॉ. विष्णुकांत शुक्ल का जन्म 29 अक्तूबर 1942 को खुर्जा में हुआ था। उनके परम मित्र और जैन कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि डॉ. शुक्ला सहारनपुर जैन कॉलेज में साढे़ तीन दशक से भी अधिक समय तक अध्यापन कार्य से जुडे़ रहे। वह बहुत व्यवहार कुशल, संयमी, मृदुभाषी, अनुशासन प्रिय और विनोदी स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्होंने करीब एक दर्जन पुस्तकें लिखी। वह श्रीमद्भागवत के प्रकाण्ड विद्वान थे और कई बार श्रीमद्भागवत कथा के लिए उन्होंने मॉरीशस आदि की विदेश यात्राएं भी की।
उनके निधन पर योग गुरु पद्श्री भारत भूषण, हिन्दी विद्वान डॉ. पूरण चंद शर्मा, डॉ. वाई के पचौरी, साहित्यकार डॉ. वीरेन्द्र आज़म, लेखक राजीव यायावर, कवि डॉ. विजेंद्र पाल शर्मा, विनोद भृंग, हरिराम पथिक, डॉ. अनिता, नरेन्द्र मस्ताना, डॉ. आर पी सारस्वत के अलावा शिक्षा जगत के अनेक विद्वानों एवं शहर के लोगों ने शोक व्यक्त किया है।