हल्दी की सुरंजना किस्म की खेती से होगा ताबड़तोड़ मुनाफा, किसानों के लिए सोने पर सुहागा जैसी फसल


हल्दी की सुरंजना किस्म क्यों है खास
हल्दी की यह वैरायटी अपनी मोटी चिकनी और गहरे पीले रंग की गांठों के लिए जानी जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह रोगों के प्रति काफी प्रतिरोधी होती है यानी फसल खराब होने की संभावना बहुत कम रहती है। सुरंजना हल्दी की खेती करने वाले किसानों को पारंपरिक किस्मों की तुलना में कहीं ज्यादा उपज मिलती है। इसकी सुंदर चमकदार गांठें और मजबूत खुशबू बाजार में इसे तुरंत पहचान दिलाती हैं।
खेती के लिए मिट्टी और तैयारी
सुरंजना हल्दी की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है क्योंकि इसमें जल धारण क्षमता बेहतरीन होती है। खेत की बुवाई से पहले गहरी जुताई करना जरूरी है ताकि मिट्टी मुलायम हो जाए और कम्पोस्ट खाद डालने से फसल को आवश्यक पोषण मिल सके। बुवाई के लिए 7 से 8 सेंटीमीटर लंबे और दो आंखों वाले कंदों का चयन करना चाहिए।
प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए लगभग 2000 से 2500 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है। पंक्तियों के बीच 30 से 40 सेंटीमीटर और पौधों के बीच करीब 20 सेंटीमीटर की दूरी रखी जाती है। बुवाई के बाद लगभग 235 दिनों में फसल खुदाई के लिए तैयार हो जाती है।
बंपर पैदावार और शानदार कमाई
दोस्तों अगर आप इस किस्म की खेती करते हैं तो आपको नतीजे देखकर खुद यकीन नहीं होगा। सुरंजना हल्दी से प्रति हेक्टेयर लगभग 400 से 450 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है जो बेहद शानदार माना जाता है। बाजार में इसकी कीमत 200 से 250 रुपये प्रति किलो तक आसानी से मिल जाती है। इस हिसाब से किसान प्रति हेक्टेयर लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं।
कुल मिलाकर हल्दी की सुरंजना किस्म की खेती किसानों के लिए एक फायदेमंद सौदा है। इसकी लगातार बनी रहने वाली मांग और स्थिर भाव इसे व्यावसायिक रूप से बहुत लाभदायक बना देते हैं।
अगर आप किसान हैं और इस बार अपनी खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो सुरंजना हल्दी की खेती जरूर आजमाएं। यह न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी बल्कि मिट्टी की सेहत के लिए भी लाभदायक
