अक्टूबर में करें प्याज की खेती और पाएं दोगुना मुनाफा, जानिए विशेषज्ञों के बताए जरूरी टिप्स और सही बुवाई का समय

अगर आप भी इस रबी सीजन में ऐसी फसल बोना चाहते हैं जो सालभर बाजार में मांग में रहे और कम समय में अधिक मुनाफा दे तो प्याज की खेती आपके लिए सबसे बढ़िया विकल्प है। अक्टूबर से लेकर नवंबर के पहले हफ्ते तक का समय प्याज की बुवाई के लिए सबसे सही माना जाता है। इस समय मौसम ठंडा और मिट्टी में नमी संतुलित रहती है जिससे प्याज के पौधे जल्दी अंकुरित होकर मजबूत बनते हैं।
अक्टूबर में प्याज की खेती क्यों है सबसे फायदेमंद
अक्टूबर का महीना प्याज की बुवाई के लिए इसलिए सबसे बेहतर है क्योंकि इस दौरान वातावरण में नमी और तापमान का संतुलन प्याज के विकास के लिए आदर्श होता है। प्याज की यह फसल जल्दी तैयार होती है और किसान इसे अगले कुछ महीनों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
प्याज की मांग पूरे साल बनी रहती है इसलिए इस मौसम में बोई गई प्याज किसानों को बाजार में ऊंचे दाम दिला सकती है। शिव शंकर वर्मा के अनुसार अगर किसान अक्टूबर में प्याज की खेती करते हैं तो उन्हें सीमित समय में अधिक उपज के साथ गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त होता है जो लंबे समय तक ताजा भी रहता है।
उन्नत किस्मों का चयन
प्याज की फसल में किस्म का चयन बहुत अहम भूमिका निभाता है। विशेषज्ञों के अनुसार अक्टूबर की बुवाई के लिए पूसा रेड, एग्री फाउंड डार्क रेड और N-53 जैसी उन्नत किस्में सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं। ये किस्में जल्दी बढ़ती हैं, रोग प्रतिरोधक होती हैं और इनसे उपज भी अधिक मिलती है।
इन किस्मों की प्याज न केवल मजबूत और चमकदार होती है बल्कि लंबे समय तक ताजा भी रहती है। किसानों को हमेशा प्रमाणित और गुणवत्तापूर्ण बीज ही लेना चाहिए ताकि बुवाई से लेकर कटाई तक फसल को किसी प्रकार के नुकसान का जोखिम न रहे।
मिट्टी और बुवाई की विधि
प्याज हल्की दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उगता है। ऐसी मिट्टी में नमी बनी रहती है और जल निकासी की भी अच्छी व्यवस्था होती है जिससे प्याज सड़ता नहीं। प्याज की खेती के लिए 15°C से 25°C तापमान सबसे अनुकूल होता है।
बुवाई के लिए पहले बीजों को गमलों या नर्सरी में बोकर 4 से 6 सप्ताह तक पौधे तैयार किए जाते हैं। जब पौधे मजबूत हो जाएं तो उन्हें मुख्य खेत में ट्रांसप्लांट किया जाता है। पंक्तियों के बीच 15 से 20 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 10 से 12 सेंटीमीटर की दूरी रखना आदर्श होता है। इससे पौधों को फैलने और अच्छी गांठ बनने की जगह मिलती है।
खाद, सिंचाई और देखभाल
प्याज की फसल में संतुलित पोषण बहुत जरूरी है। प्रति हेक्टेयर 60 से 70 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 से 40 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20 से 25 किलोग्राम पोटाश देने से प्याज की वृद्धि तेजी से होती है और उत्पादन भी अधिक मिलता है।
सिंचाई करते समय नमी का विशेष ध्यान रखें। हल्के मौसम में सप्ताह में दो से तीन बार सिंचाई पर्याप्त होती है। फूल आने के समय पानी की मात्रा थोड़ी कम कर दें ताकि प्याज सड़े नहीं और गांठें मजबूत बनें।
अगर खेत में खरपतवार उग आएं तो समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें। इससे फसल स्वस्थ रहती है और उत्पादन पर अच्छा असर पड़ता है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो प्याज की खेती अक्टूबर से नवंबर के पहले सप्ताह तक करना किसानों के लिए बेहद फायदेमंद सौदा है। यह फसल कम समय में तैयार होती है, बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और सही देखभाल के साथ किसान दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं।
इस सीजन अगर आप भी खेती में बेहतर कमाई चाहते हैं तो प्याज की खेती को जरूर अपनाएं। सही किस्म और सही समय पर की गई बुवाई आपके खेत को मुनाफे की फसल में बदल सकती है।